बद्दी (एमबीएम न्यूज) : श्रावण मास में पडने वाले सोमवार के व्रतों की गणना दो तरीकों से की जाती है। कई क्षेत्रों में श्रावण मास का आरंभ सूर्य संक्रांति से अगले माह की संक्रांति तक लिया जाता है जो इस मास 16 जुलाई को है। कई स्थानों पर इसकी गणना आषाढी पूर्णिमा से की जाती है जो इस साल 9 जुलाई को पड रही है और 10 जुलाई से श्रावण का कृष्ण पक्ष आरंभ हो रहा है। इस प्रकार सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को आ रहा है अत: इस दिन से सावन के सोमवारीय व्रतों का शुभारंभ हो जाएगा।
प्रसिद्व ज्योतिष मदन गुप्ता स्पाटू ने बताया कि श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व माना गया है। उन्होने कहा कि भोलेनाथ अपने नाम के अनुरुप अत्यंत भोले हैं और सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिवोपासना से जीवन की अनेकानेक कठिनाइयां दूर होती हैं। इस मास में महामृत्युंज्य मंत्र, रुद्राभिषेक,शिव पंचाक्षर स्तोत्र आदि के पाठ से लाभ मिलता है। शिवलिंग पर मात्र बिल्व पत्र चढाने से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, भांग, धतूरा, जल, कच्चा दूध, दही, बूरा, शहद, दही, गंगा जल, सफेद वस्त्र, आक , कमल गटट, पान , सुपारी, पंचगव्य , पंचमेवा आदि भी चढाए जा सकते हैं। ओम नम: शिवाय का जाप या महामृत्युंज्य का पाठ कर सकते हैं। शिवलिंग पर चंपा, केतकी, नागकेशर, केवडा या मालती के फूल न चढाएं। अन्य कोई भी पुष्प जैसे हार सिंगार,सफेद आक आदि के अर्पित कर सकते हैं। बेल पत्र का चिकना भाग ही शिवलिंग पर रखना चाहिए तथा यह भी ध्यान रखें कि बेल पत्र खंडित न हों। इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगला गौरी का व्रत , विधिवत पूजन करने से शीघ्र विवाह या वैवाहिक जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सौभाग्यादि में वृद्धि होती है।