घुमारवीं (सुभाष कुमार गौतम) : बिलासपुर यू तो साइबेरियन क्रेन यानि प्रवासी पक्षीयों की शरण स्थली माना जाता है, जहाँ हजारों की संख्या में हर साल साइबेरियन बर्ड्स घूमने चले आते हैं। गोविंद सागर झील में अलग-अलग मौसम में कई प्रकार की प्रजातियों के पक्षी यहाँ पहुँचते हैं। वाईल्ड लाइफ अधिकारियों का मानना है कि यह पक्षी फरवरी माह से आने शुरू हो जाते हैं और अलग-अलग महीनों में हजारों की संख्या में यह साइबेरियन क्रेन आते-जाते रहते हैं।
सबसे बड़ा अजूबा घुमारवीं उपमंडल की गाहर पंचायत के पद्यान गांव में देखने को मिलता है, जिससे अधिकतर लोग अनजान है। एक बट वृक्ष परिंदो का पसंदीदा जगह है। मार्च के महीने में इनका आना शुरू हो जाता है, जो बरसात शुरू होने पर लौट जाते है।
स्थानीय निवासी नंद लाल शर्मा का कहना है कि यह पक्षी पिछले कई सालों से आते हैं। न तो यह फसलों को नुकसान पहुंचाते है और न ही कोई ओर नुकसान करते हैं। लेकिन खास बात तो यह है कि यह पक्षी नजदीक में बहने वाली सीर खड्ड से अपना गुजर-बसर करते हैं, क्योंकि इस खड्ड में मछलियॉ होती हैं और मार्च महीने में पानी कम होने के कारण इनको शिकार करने में आसान होती है इसलिए यह मछलियों का शिकार करते हैं और इस पेड़ पर हजारों की संख्या में बैठे रहते हैं।
बरसात शुरू हो पर जाने शुरू हो जाते हैं, क्योंकि बरसात में खड्ड का पानी मटमैला हो जाता है और इनका सीजन भी खत्म हो जाता है। लोगों को दुबारा अगले साल इनके आने का इंतजार रहता है हालाँकि प्रवासी पक्षी तो हर जगह आते हैं, लेकिन हजारों की संख्या में ग्रामीण इलाकों में इन पक्षीयों की तरह बहुत कम आते हैं।