नाहन (शैलेंद्र कालरा) : सिरमौर में कौशल विकास भत्ते में आटो डेबिट के खेल के खुलासे से प्रशिक्षण केंद्र के एक संचालक महोदय तिलमिला गए हैं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क को खबर प्रकाशित करने के चंद घंटों बाद मोबाइल नंबर 78070-38576 से धमकियां दी गई हैं। इसमें अब एफआईआर दर्ज व लीगल नोटिस देने के अलावा नतीजे भुगतने की धमकी दी गई।
एमबीएम न्यूज ने जब कॉल करने वाले से पहचान पूछी तो खुद का नाम कुलदीप शर्मा बताया। मजेदार बात यह है कि आईटी की शिक्षा दे रहे कॉलर को बातचीत के दौरान डिजिटलाइजेशन के बारे में रत्ती भर भी ज्ञान नहीं था, क्योंकि वह बार-बार पूछ रहे थे कि यह खबर कैसे प्रकाशित हुई है। यहां तक कि वैबसाइट तक का ज्ञान नहीं था। मीडिया पर आरोप लगाते हुए कॉलर ने यह भी कहा कि उन्हें विज्ञापन देने के लिए ब्लैकमेल किया जाता है।
पड़ताल करने पर पता चला कि यही साहब मार्च महीने में भी विवादों में घिर गए थे। बकायदा दिव्य हिमाचल ने बेरोजगारों से ठगी का मामला प्रकाशित किया था। इस मामले में समाचार के पत्रकार ने आरटीआई के तहत भी जानकारियां जुटाई थी। इस खबर में खुलासा किया गया था कि करीब 8 महीने पहले संगड़ाह व शिलाई में सैंकड़ों युवाओं से लाखों रुपए की फीस वसूली गई थी। इसकी एवज में नौकरी देने की बात कही गई थी।
पढि़ए सरकारी व्यवस्था की बेबसी
दबी जुबान से हर कोई इस बात को कबूल कर रहा है कि प्रशिक्षण केंद्रो में ऑटो डेबिट का खेल चलता आ रहा है। लेकिन सीधी कार्रवाई करने में खुद को बेबस भी बताया जा रहा है। जिला रोजगार अधिकारी बलवंत वर्मा ने कहा कि कोई शिकायत नहीं मिली है लिहाजा कार्रवाई कैसे की जा सकती है। वहीं डीसी बीसी बडालिया ने कहा कि शिकायत मिलते ही सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। सवाल उठता है कि प्रशासन की टीम सीधे ही इन केंद्रों में जाकर छात्रों के बयान क्यों नहीं ले रही। मामले को अगर पुलिस को सौंप दिया जाए तो जांच में ऊपर से नीचे तक दूध का दूध पानी का पानी हो सकता है।
क्यों नहीं शिकायतें
हालांकि एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में संगडाह उपमंडल की लुधियाना पंचायत के पूर्व प्रधान ने शिकायत करवाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि उनके बच्चे का भी एकाउंट भी ऑटो डेबिट पर है। बहरहाल यह नहीं कहा जा सकता कि पूर्व प्रधान शिकायत दर्ज करवा ही देंगे या नहीं। लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि इन प्रशिक्षण केंद्रों में पढ़ रहे छात्र क्यों शिकायत नहीं दर्ज करवाते। पड़ताल में यह बात सामने आई है कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के साथ ही इस तरह का खेल खेला जा रहा है। जिन्हें निशुल्क शिक्षा का प्रलोभन दिया जाता है।