चंडीगढ़ (शैलेंद्र कालरा): हिमाचल प्रदेश उद्योग महकमे के संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात रसूखदार अधिकारी को दबोचने के लिए सीबीआई ने हवा में ही तीर नहीं मारा है। बकायदा आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। राज्य का सतर्कता विभाग आज भी नोटों पर कैमिकल लगाकर रिश्वतखोर दबोचता है। लेकिन सीबीआई ने ऐसा नहीं किया है। 19 मई को शिकायतकर्ता चंद्रशेखर ने अधिकारी से मध्यस्थता करवाने वाले अशोक राणा की भी फोन रिकॉर्डिंग की थी। बहरहाल यह मामला 27 मई से शुरू हुआ। 22 मई को अशोक राणा ने चंद्रशेखर को कहा था कि संयुक्त निदेशक को 10 लाख रुपए देने होंगे।
यह था मास्टर प्लान..
शिकायतकर्ता की वैरीफिकेशन के मकसद से सीबीआई ने प्लानिंग शुरू की। एक खुफिया कैमरा व डिजिटल वॉयस रिकॉर्डर का इस्तेमाल शुरू हुआ। 8 जीबी के दो नए मैमोरी कार्ड भी लिए गए। इसके बाद शिकायतकर्ता ने अशोक राणा को मोबाइल नंबर 70188-69880 पर संपर्क किया, लेकिन राणा ने फोन रिसीव नहीं किया। 27 मई शाम 6:37 बजे तीसरी कॉल की गई। इसके बाद राणा ने कॉल रिसीव कर ली। आधा घंटा बाद फोन करने की बात हुई। 7:25 बजे शिकायतकर्ता चंद्रशेखर को कॉल आती है। इसके बाद शिकायतकर्ता को सेक्टर-8 के हैडमास्टर सैलून आने को कहा जाता है। इस कॉल को रिकॉर्ड कर लिया जाता है। इसके बाद तय होता है कि शिकायतकर्ता द्वारा अशोक राणा के साथ बातचीत को खुफिया कैमरे की मदद से रिकॉर्ड किया जाएगा।
यह था मास्टर प्लान..
शिकायतकर्ता की वैरीफिकेशन के मकसद से सीबीआई ने प्लानिंग शुरू की। एक खुफिया कैमरा व डिजिटल वॉयस रिकॉर्डर का इस्तेमाल शुरू हुआ। 8 जीबी के दो नए मैमोरी कार्ड भी लिए गए। इसके बाद शिकायतकर्ता ने अशोक राणा को मोबाइल नंबर 70188-69880 पर संपर्क किया, लेकिन राणा ने फोन रिसीव नहीं किया। 27 मई शाम 6:37 बजे तीसरी कॉल की गई। इसके बाद राणा ने कॉल रिसीव कर ली। आधा घंटा बाद फोन करने की बात हुई। 7:25 बजे शिकायतकर्ता चंद्रशेखर को कॉल आती है। इसके बाद शिकायतकर्ता को सेक्टर-8 के हैडमास्टर सैलून आने को कहा जाता है। इस कॉल को रिकॉर्ड कर लिया जाता है। इसके बाद तय होता है कि शिकायतकर्ता द्वारा अशोक राणा के साथ बातचीत को खुफिया कैमरे की मदद से रिकॉर्ड किया जाएगा।
सीबीआई की टीम भी साथ थी। शाम 7:40 बजे शिकायतकर्ता खुफिया कैमरों से लैस होकर हैड मास्टर सैलून पहुंच जाता है। रात 8:46 बजे शिकायतकर्ता सैलून से बाहर आता है। बातचीत चंद्रशेखर व अशोक राणा के बीच होती है। सबकुछ रिकॉर्ड कर लिया जाता है।
सैलून में खुद अधिकारी के मौजूद होने की बात भी राणा ने चंद्रशेखर को बताई। सैलून में ही शर्मा उसे ( शिकायतकर्ता ) को एक कोने में ले जाकर डील तय करता है, लेकिन इस बात से अनजान रहता है की सब कुछ रिकॉर्ड हो रहा है। यह तय होता है कि 29 मई को पांच लाख दिए जायेंगे, दूसरी किश्त कैपिटल सब्सिडी जारी होने के बाद दी जाएगी। इसी दौरान अधिकारी ने शिकायतकर्ता को कहा कि पांच लाख रुपए की राशि दिल्ली में हिमाचल सचिवालय के एक अधिकारी को दी जानी है। रिश्वत की राशि को कम करने की बात पर शर्मा काफी भडक़ गए थे। यहां तक भी धमकी दे डाली कि अगर 10 लाख नहीं देना चाहते हो तो फैक्टरी की बिजली भी कट सकती है, साथ ही गिराई भी जा सकती है।
इसके बाद शिकायत कर्ता ने 28 मई को फ़ोन पर पांच लाख रूपये देने को हामी भर दी। तय हुआ कि 29 मई को बैंक खुलने के बाद पांच लाख दे दिए जायेगे। तमाम बातों की वीडियो व ऑडियो रिकॉर्डिंग की जा चुकी थी। 29 मई की दोपहर 12:17 बजे व 12:18 बजे शिकायतकर्ता ने तिलकराज शर्मा को मोबाइल नंबर 94180-88078 पर संपर्क किया। लेकिन कॉल रिसीव नहीं की, इसके बाद तिलकराज ने शाम 4:58 बजे खुद चंद्रशेखर को फोन किया। इसके लिए तिलकराज ने अपने फ़ोन का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि मोबाइल नंबर 88198-36988 से शिकायतकर्ता को फ़ोन किया।
इसके बाद शाम को सेक्टर-8 में मिलने को कहा गया। रात 8:40 बजे के आसपास सीबीबाई ने तिलकराज को 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथो गिरफ्तार कर लिया।