धर्मशाला (एमबीएम न्यूज) : अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा डॉ. ऋचा वर्मा ने कहा कि जिले में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत चलाए गए ‘कांगड़े दी मुन्नी’ कार्यक्रम के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं और शिशु लिंगानुपात में सुधार हुआ है। वर्ष 2016 में जहां 1000 लड़कों के मुकाबले 876 लड़कियां थीं, वहीं मार्च, 2017 तक यह संख्या 898 हो गई है। उन्होंने कहा कि अभी भी इस दिशा में और कार्य किया जाना बाकि है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के तहत लैंगिक असंतुलन को दूर करने, लड़कियों की शिक्षा, सुरक्षा, सम्मान, स्वाभिमान और अधिकारों को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
जिला स्तरीय अनुश्रवण एवं समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि जिला में 15 बाल विकास परियोजनाएं संचालित हैं, जिनमें 4119 आंगनबाड़ी केन्द्रों तथा 107 मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत अप्रैल, 2017 तक 6 माह से 6 वर्ष तक के 85706 बच्चों तथा 21735 गर्भवती महिलाओं व धात्री महिलाओं को लाभ पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों व मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से बच्चों व महिलाओं में टीकाकरण का कार्यक्रम शत-प्रतिशत किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बेटी है अनमोल योजना में गरीबी रेखा से नीचे एवं बीपीएल परिवारों में जन्मी बच्ची के नाम पर जन्म के समय 10 हजार रुपये की राशि बैंक में जमा करवाई जाती है। बच्ची के 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर संपूर्ण राशि ब्याज सहित लड़की को मिल जाती है। सरकार द्वारा इस योजना का लाभ दो कन्याओं के जन्म तक ही प्रदान किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत लगभग 2 करोड़ 95 लाख रुपये व्यय किए गए हैं, जिसमें से 1 करोड़ 52 लाख 95 हजार 700 रुपये की एफडी देकर 1575 लड़कियों तथा बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पहली से बारवीं कक्षा तक 56 लाख 60 हजार 650 रुपये की छात्रवृति देकर 5248 लड़कियों को लाभान्वित किया गया है।
वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत जिला में वर्ष 2016-17 में 1 करोड़ 92 लाख 60 हजार रुपये तथा वर्ष 2016-17 में मदर टेरेसा असहाय मातृ सम्बल योजना के अंतर्गत 1 करोड़ 42 लाख रुपये व्यय किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि राजीव गांधी किशोरी सशक्तिकरण योजना सबला का कार्यान्वयन आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से समेकित बाल विकास सेवाओं का उपयोग करते हुए किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत 11 से 18 वर्ष तक की आयु की किशोरियों को आत्म-विश्वास, सशक्तिकरण, पोषण एवं स्वास्थ्य स्तर, सफाई, किशोरी प्रजनन तथा यौन स्वास्थ्य एवं परिवार व बाल देख-रेख इत्यादि के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी तिलक राज आचार्य ने महिला विकास विभाग कि विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत जिला में किए जा रहे कार्यों एवं उठाए गए कदमों के बारे में भी अवगत करवाया।
इसके उपरांत अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा ऋचा वर्मा ने जिला बाल संरक्षण समिति की समीक्षा बैठक की तथा इसके अंतर्गत उन्होंने बाल संरक्षण एवं लैंगिक अपराधों से बालक-बालिकाओं के संरक्षण के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि यह सभी का सामूहिक दायित्व है कि बच्चों को स्वतंत्र एवं गरिमामय वातावरण उपलब्ध हो ताकि उनका स्वस्थ सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण एवं लैंगिक अपराधों से बालक-बालिकाओं के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार सभी संबंधित कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन तय कर रही है। उन्होंने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012, किशोर न्याय बालकों की देख रेख और संरक्षण अधिनियम 2000 संशोधित अधिनियम 2015 जैसे अधिनियमों को मजबूती से लागू किया गया है।
बैठक में जिला बाल संरक्षण अधिकारी केएस धीमान, जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गुरमीत कटोच, जिला के समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी, उप-निदेशक उच्च केके गुप्ता, उप-निदेशक प्रारम्भिक दीपक किनायत, जिला पंचायत अधिकारी राजेन्द्र धीमान, महिलाओं, बच्चों एवं किशोरों के कल्याण को लेकर काम करने वाले विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के सदस्य, बाल बालिका आश्रमों के सदस्य एवं प्रतिनिधि और सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों सहित अन्य हितधारक उपस्थित थे।