मंडी (वी कुमार) : आज के समय में पहाड़ों में पानी के लेवल का कम होना, जमीन की उपजाउ क्षमता में कमी आना और खेतों में किसानों को कृषि कीलागत ज्यादा आने का कारण जमीन में अंधाधुंध रसायनों, यूरिया और पेस्टीसाईड का इस्तेमाल है। इससे होने वाले प्रभावों के कारण जमीनों को बंजर होने से बचाने के लिए सभी किसानों को जैविक और परम्परागत कृषि पर बल देने की आवश्यक्ता है, ताकि किसान स्वस्थ उगाएं, स्वस्थ खिलाएं और प्रदेश और देश स्वस्थ बने।
यह बात मंडी जिला के बल्ह विधानसभा क्षेत्र में कृषि विश्वविद्यालय और यूथफार सस्टेनेबल डेवलपमेन्ट एवं कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित जैविक एवं परम्परागत कृषि संगोष्ठी में प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उपस्थित किसानों को सम्बोधित करते हुए कही। आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने मुख्यअतिथि शिरकत कर कृषि विश्वविद्यालय की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और किसानों से संवाद भी किया।
राज्यपाल ने इस मौके पर कहा कि आज के समय में किसान अपनी जमीन में रसायनों का जिस तरह से इस्तेमाल कर रहें है उससे जमीन बंजर होने की कगार पर आ गई है और इसे सिर्फ जैविक और परम्परागत कृषि करके ही बचाया जा सकता है। उन्होने किसान भाईयों से आग्रह किया कि वे देसी गाय पालें और जैविक खेतीकर अपनी जमीन की समाप्त होती उर्वरा शक्ति को वापिस लाने का प्रयास करें।
उन्होनें किसानों से कृषि विश्वविद्यालयों के प्रयास से जीरो बजट प्राकृतिक खेती के मॉडल को अपनाने का आहवान भी किया ताकि किसानों की कृषि के लिए आने वाली अधिक लगात को कमकिया जा सके और किसानों की आय में बढौतरी हो सके। कार्यक्रम में प्रदेश के पालमपुर और नौणी कृषि विश्वविद्यालयों से आए वैज्ञानिकों ने किसानों को खेती करने के प्राकृतिक उपायों के बारे में भी जानकारी दी।
साथ ही संगोष्ठी में कृषि के विशेषज्ञों के द्वारा किसानों खेती करने में पेश आ रही परेशानियों के समाधान के बारे में भी अवगत करवाया गया।