नाहन (एमबीएम न्यूज) : प्रदेश में 2003 के बाद से जब पूर्व विधायकों को पैंशन मिलती है तो सरकारी कर्मचारियों को इस सुविधा से वंचित क्यों रखा जा रहा है। यह सवाल एनपीएस कर्मचारी एसोसिएशन की सिरमौर इकाई ने उठाया है। सोमवार को कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त बीसी बडालिया से मुलाकात की। इस दौरान प्रशासन को नई पैंशन स्कीम के दुष्प्रभावों से अवगत करवाया गया।
एसोसिएशन ने उपायुक्त के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजा है। इसके मुताबिक राज्य में 15 मई 2003 के बाद से कर्मचारियों की पैंशन बंद है। केंद्र सरकार ने इसे 1 जनवरी 2004 से लागू किया था। ज्ञापन में केंद्र सरकार से सीसीएस रूल्स 1972 के कलॉस 50 के तहत पुरानी पैंशन बहाल करने की मांग की है। दलील यह भी है कि जब राज्य सरकार पीटीए, टैट व आउटसोर्स के तहत नियुक्त कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए कदम उठा रही है तो 2003 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के हितों के बारे में क्यों नहीं सोचा जा रहा।
एनपीएस कर्मचारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील तोमर व महासचिव सुनील कंवर का कहना है कि पैंशन योजना की पुरानी पद्धति पूरी तरह से छलावा है। उन्होंने कहा कि 15 मई 2003 के बाद कर्मचारियों को मृत्यु होने पर या फिर सकुशल सेवा निवृत होने पर जीसीडीआर के तहत मिलने वाली राशि को बंद कर दिया गया है जो प्रदेश के करीब 80 हजार कर्मचारियों के साथ अन्याय है।