शिमला (एमबीएम न्यूज): प्रदेश में काफी कम लोग इस बात से वाकिफ होंगे, राज्य में एक ऐसी दृष्टिहीन महिला रक्तदाता भी हैं, जो अपनी आंखों की रोशनी न होने के बावजूद दूसरों का जीवन बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इस जज्बे को हरेक को सलाम करना चाहिए। 4 मई 2015 को रोहडू की रहने वाली निशा ठाकुर ने प्रदेश की पहली दृष्टिहीन महिला रक्तदाता बनने का गौरव हासिल किया था।
इस वक्त आईआईटी सुंदरनगर में कंप्यूटर डिप्लोमा कर रही निशा ठाकुर का संबंध एक गरीब परिवार से है। चौकीदारी करने वाले पिता को आज यह कतई नहीं लगता कि दृष्टिहीन बेटी बोझ है। यकीन मानिए, पोर्टमोर स्कूल से जमा दो उत्तीर्ण करने के बाद खुद को इतना काबिल बनाने का प्रयास किया कि आज निशा की कंप्यूटर पर अंग्रेजी में 70 शब्द प्रति मिनट की टाइपिंग स्पीड है, जबकि हिन्दी में 40 शब्द प्रति मिनट टाइप कर लेती हैं।
उमंग फाउंडेशन की बदौलत निशा ठाकुर को जीवन में एक नई राह मिली। फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव का कहना है कि आज के दिन दो साल पहले निशा ने पहली बार रक्तदान किया था। उन्होंने कहा कि उमंग फाउंडेशन हर संभव मदद मुहैया करवा रहा है।