नाहन (शैलेंद्र कालरा) : विश्वास कीजिए, यहां जन्मे होनहार बेटे डॉ. मोहित ने अपनी मां कमलजीत कौर से नोबेल पुरस्कार जीतने का वायदा किया है। मां कहती है, बेटे ने आज तक जो वायदा किया है, निभाकर दिखाया है। 33 साल के हो चुके मोहित का ट्रैक रिकॉर्ड गजब का है। यही एक ऐसा आधार है, जो मोहित को नोबेल पुरस्कार की तरफ आगे बढ़ा रहा है।
शहर के सरकारी स्कूल से जमा दो की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मोहित ने बायो टैक्नोलॉजी में भविष्य बनाने का फैसला लिया। आईआईटी रूडक़ी में सामान्य छात्रों को दाखिल नहीं मिलता है, लेकिन एमएससी करने के बाद फिनलैंड का रूख कर लिया। यहां पीएचडी करने के साथ-साथ कैंसर बॉयोलोजी में रिसर्च भी शुरू कर दी। इसी शोध को स्वीडन में भी आगे बढाया।
मंगलवार को होनहार बेटा मोहित बरवाल स्विट्जरलैंड पहुंच गया है, जहां एंटी बॉयोटिक ड्रग मॉलीक्यूल में शोध का कार्य शुरू करने जा रहे हैं। पढ़ाई के दौरान दसवीं व बारहवीं में टॉपर रहे डॉ. मोहित नरवाल खामोशी से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हैं। परिवार की जिद पर ही मीडिया से मुखातिब होने पर हामी भरी। हालांकि एमबीएम न्यूज नेटवर्क की डॉ. मोहित से सीधी बात नहीं हुई है, लेकिन माता-पिता के मुताबिक मोहित चाहता है कि अंतिम लक्ष्य हासिल करने के बाद ही अपनी कामयाबी को साझा करें।
मोहित के पिता देवेंद्र बरवाल आयुर्वेदिक विभाग से बतौर अधीक्षक सेवानिवृत हुए हैं, जबकि माता कमलजीत कौर शहर के एक निजी स्कूल से रिटायर हुई है। फोन पर डॉ. मोहित की बहन शिवानी सोखी ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि पूरा परिवार गर्व महसूस करता है। डॉ. मोहित की पत्नी फिलहाल स्वीडन में एक नामी कंपनी की तीन देशों की हैड है।
कुल मिलाकर सफलता की इस दास्तां में बड़ी बात यह है कि एक ऐसे लक्ष्य की तरफ बेटा बढ़ रहा है, जिसे जीवन में अगर पाने में असफल रहा तो उनकी मातृभूमि तो क्या, पूरे देश के इतिहास के पन्नों में रिकॉर्ड दर्ज हो जाएगा।
वहीं एमबीएम न्यूज नेटवर्क कार्यालय पहुंची डॉ. मोहित की मां कमलजीत कौर कहती हैं कि बचपन से ही मोहित ने जो वायदा किया निभाकर दिखाया। अब कहकर गया है कि मां नोबेल पुरस्कार लेकर आऊंगा। पूरा विश्वास है कि डॉ. मोहित मां के साथ किए इस वायदे को भी पूरा करके दिखाएंगे।