नाहन (एमबीएम न्यूज) : यकीन मानिए, ट्रांसगिरि क्षेत्र के दुर्गम गांव में जन्में युवा हरेक क्षेत्र में अपनी काबलियत का लोहा मनवा रहे हैं। इसमें चाहे एचएएस की परीक्षा हो या फिर पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद। हरेक प्रतियोगितात्मक परीक्षा में सफलता अर्जित करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। यहां तक की दुर्गम क्षेत्रों के युवा शहरी युवाओं पर भी भारी पड़ रहे हैं।
यह बात मानने लायक है कि संगड़ाह उपमंडल इसमें सबसे आगे चल रहा है। शिलाई भी पीछे नहीं है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने ही पिछले छह महीनों में करीब डेढ़ दर्जन युवाओं की सफलता को पाठकों से साझा किया। शनिवार शाम जब हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा कॉलेज कैडर के सहायक प्रोफैसर्स की नियुक्तियों का परिणाम जारी किया तो इसमें भी ट्रांसगिरि क्षेत्र के युवा धमाल मचाते नजर आए।
एक-दो उदाहरण तो ऐसे सामने आए हैं, जो कईयों के लिए प्रेरणा हो सकते हैं। युवाओं की पारिवारिक पृष्ठभूमि न केवल साधारण है, बल्कि पढ़ाई भी स्थानीय स्तर पर पूरी की। अंग्रेजी जैसे विषय में भी युवाओं ने अपनी पहचान बनाने में सफलता अर्जित की है। कुल मिलाकर सिरमौर को दुर्गम क्षेत्रों के युवाओं से काफी उम्मीदें नजर आने लगी है।
शिलाई के बेल्ला गांव के रहने वाले सतपाल ठाकुर जियोग्राफी में सहायक प्रोफैसर बने हैं। तुलसीराम के घर जन्मे सतपाल ने नेट-सैट के अलावा 2009 में जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण की। इस विषय की मैरिट में दूसरा स्थान हासिल किया है। मौजूदा में मिडल स्कूल क्यारी में बतौर टीजीटी तैनात हैं। साधारण से परिवार में जन्में सतपाल ठाकुर ने साबित कर दिखाया है कि ग्रामीण परिवेश में पढ़ाई व नौकरी करने के साथ-साथ भी सफलता अर्जित की जा सकती है।
संगड़ाह तहसील के घाटो गांव के विनोद कुमार पुत्र राजेंद्र सिंह का चयन भी अंग्रेजी विषय के सहायक प्रवक्ता के तौर पर हुआ है। बेटे की सफलता पर घटवाल परिवार खुशी से फूला नहीं समा रहा है। इस वक्त विनोद चंबा के बनीखेत पॉलटैक्नीक कॉलेज में अंग्रेजी विषय में ही बतौर सहायक प्रवक्ता सेवा दे रहे हैं।
हरिपुरधार क्षेत्र के कोरग गांव की बेटी पूनम रिन्टा सहायक अनुसंधान अधिकारी बनी है। इकनोमिक्स में पीएचडी कर चुकी पूनम की उम्र मात्र 25 साल है। दुर्गम क्षेत्र में जन्मी पूनम ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई भी गांव के स्कूलों में पूरी की। साथ ही ग्रैजुएशन की पढ़ाई संगड़ाह कॉलेज से की। इस पोस्ट के तीन ही पद थे। 90 के दशक में कोरग बोर्ड की परीक्षाओं में नकल के लिए बदनाम हुआ था। लेकिन बदलते परिवेश में आज इसी क्षेत्र के युवा हर क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं। बेटी पूनम भी गांववासियों के लिए एक मिसाल बनी है।
ट्रांसगिरि क्षेत्र के नघेता के कमलेश कुमार ने 37 वर्ष की उम्र में कॉलेज कैडर का सहायक प्रोफैसर बनने का मौका हासिल कर लिया है। जामना वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में बतौर टीजीटी तैनात कमलेश कुमार 2005 से 2010 तक जियोग्राफी के प्रवक्ता रहे। इसके बाद 2010 में टीजीटी का कमीशन पास कर लिया। 2016 में टीजीटी के पद पर नियमित हो गए। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कमलेश ने कहा कि स्कूल में शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ अपनी भी पढ़ाई लंबे अरसे से जारी रखी थी। नेट व सेट की परीक्षा को उत्तीर्ण किया था।
शिलाई विकास खंड की ग्वाली पंचायत के मटियाना गांव की 29 वर्षीय विद्या वर्मा अंग्रेजी विषय की सहायक प्रोफैसर बनी है। सोचिए, इस बेटी ने एक ऐसे क्षेत्र में जन्म लिया, जहां शायद ही कोई अंग्रेजी भाषा को बोल पाता हो। शिलाई में ही पढ़ी, यहीं से ग्रैजुएशन भी की। अंग्रेजी में हमेशा ही 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए। अब अंग्रेजी विषय को कॉलेज में पढ़ाएगी। ऐसा भी नहीं था कि परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो। पिता खेतीबाड़ी करते हैं तो मां गृहणी है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत करते हुए विद्या काफी भावुक हो गई। बोली, आर्थिक स्थिति कमजोर थी। बड़े भाई को सेना में नौकरी मिली। फिर परिवार की आर्थिक स्थिति को कुछ सहारा मिला। नेट व सेट की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी विद्या ने एमए व एमफिल की शिक्षा प्रदेश विश्वविद्यालय से पूरी की।
संगड़ाह उपमंडल के माईना गांव के रहने वाले कर्मदत्त शर्मा 1997 में सेना में भर्ती हुए। 16 साल की सेवा के बाद वापस लौटे तो निजी तौर पर पढ़ाई पूरी कर टीजीटी का पद हासिल किया। चाहते तो यहां संतुष्ट हो जाते, लेकिन नहीं। मुकाम हासिल करना था। पढ़ाई जारी रखी। कर्मदत्त शर्मा के पिता किसान हैं, जबकि मां गृहणी। घर में पढ़ाई का माहौल है। दोनों भाई जेबीटी हैं, तो पत्नी भी जेबीटी के पद पर कार्यरत है। एक भाई राजकुमार शर्मा डीएफओ के पद पर तैनात है। सेना की नौकरी के साथ-साथ भी पढ़ाई से मन नहीं चुराया। अब शनिवार शाम जब हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग ने कॉलेज कैडर के सहायक प्रोफैसर के पद का परिणाम जारी किया तो सोशलॉजी विषय में कर्मदत्त शर्मा को सफलता मिली।
संगड़ाह उपमंडल की सैंज पंचायत के टूहेरी गांव की 25 साल की मोनिका ने कॉलेज कैडर में असीस्टैंट प्रोफैसर बनने का मुकाम हासिल किया है। ट्रांसगिरि क्षेत्र की बेटी ने म्यूजिक विषय में सफलता पाई है। अहम बात यह है कि होनहार बेटी ने स्थानीय स्तर पर ही पढ़ाई पूरी की। पहले वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लुधियाना में जमा दो की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद संगड़ाह डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। पिता स्व. राजेंद्र सिंह के देहान्त के बाद मोनिका ने पिता के ही पदचिन्हों पर आगे बढऩे का फैसला लिया, जो खुद भी एक शिक्षक थे।
संगड़ाह के कजवा गांव के पंकज कुमार अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन 26 साल के इस होनहार बेटे ने एक पिछड़े गांव से निकल कर न केवल जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली जैसे शैक्षणिक संस्थान में दाखिला लेने में सफलता अर्जित की, बल्कि जियोग्राफी में सहायक प्रोफैसर का पद भी हासिल कर लिया था।