नाहन (शैलेंद्र कालरा) : ऐसी काफी शख्सियतें हैं, जिन्होंने अपने जीवन में बड़ी उपलब्धियां हासिल की, लेकिन कभी भी लोगों के सामने नहीं आए। ऐसी ही एक शख्सियत है, नरेंद्र थापा ‘नानू’। इनसे जब एमबीएम न्यूज ने बात की तो दंग करने वाली उपलब्धियां सामने आई, जो शायद प्रदेश नहीं जानता है। भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में अपनी बतौर फुटबॉल कोच सेवाएं 1983 में शुरू की थी।
1989 से 1993 के दौरान साई ने फुटबॉल के खिलाड़ी तैयार करने के मकसद से स्पैशल एरिया प्रोजैक्ट शुरू किया था। इस दौरान भारतीय फुटबॉल टीम के लिए 37 खिलाड़ी तैयार किए। इसमें मणिपुर के किरण खोखसे व असम के जोवल भी बड़े नाम हैं। इसके अलावा अंकित व तजेंद्र कुमार भी नरेंद्र थापा की पनीरी में तैयार हुए।
बड़ी बात यह है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में नरेद्र ने नौ साल अपनी सेवाएं दी। देश में यही क्षेत्र है, जहां से बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी तैयार होते हैं। पिछले दो महीनों में देश की फुटबॉल रैंकिंग में सुधार हुआ है। 156वीं रैंक से भारत अब 143वें रैंक पर पहुंचा है। मौजूदा में चंडीगढ़ में तैनात नरेंद्र थापा ने यहां से भी सब जूनियर इंडियन टीम के लिए महिला वर्ग में एकता, तारीनी, शारिका व सौम्या को तैयार किया।
2013-14 जूनियर इंडिया में नरेंद्र के ग्राऊंड से जसप्रीत व ईवी रैना ने जगह बनाई। वहीं 2015-16 के सब जूनियर में मनीषा, प्रोमिला, अंजू व ममता का चयन हुआ। बड़ा सवाल यह उठता है कि जब हिमाचल में फुटबॉल की पनीरी को तैयार करने के लिए ऐसा शख्स मौजूद है, जो बड़ी भूमिका निभा सकता है तो सरकार को इसमें संकोच नहीं होना चाहिए।
हर साल तैयार किया एक इंटरनेशनल खिलाड़ी
करीब 34 साल की सेवाओं के बाद थापा जनवरी 2017 में सेवानिवृत हो जाएंगे। सेवाओं के दौरान अलग-अलग वर्गों में तकरीबन 46 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार किए। 1983 में अपनी सेवाएं शुरू की थी। 2017 में रिटायर होंगे। औसतन एक से भी अधिक इंटरनेशनल खिलाड़ी तैयार करने का रिकॉर्ड अपनी झोली में डाले हैं।
क्या कहा, विशेष बातचीत के दौरान…
एमबीएम न्यूज से विशेष बातचीत के दौरान नरेंद्र थापा ने कहा कि खिलाडिय़ों को लेकर इतनी लंबी फेहरिस्त है कि अब ठीक से याद भी नहीं। अलबत्ता यह जरूर माना कि अलग-अलग वर्गों में लगभग चार दर्जन अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि वह अगले साल जनवरी में रिटायर हो रहे हैं। दिली इच्छा है कि फुटबॉल अकादमी चलाएं। थापा ने कहा कि सरकार मैदान उपलब्ध करवा दे तो देवभूमि में बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह तय है कि पहाड़ी राज्यों से ही बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी निकलते हैं।