नई दिल्ली, 22 मई : वर्ष 2009 में जब यूपीए दोबारा सत्ता में लौटी तो राहुल गांधी के सामने प्रधानमंत्री बनने में कोई अड़चन नहीं थी। राजनीतिक परिस्थितियां उनके पक्ष में थी। मगर गृह नक्षत्रों की चाल ने उन्हें प्रधानमंत्री पद पर जाते-जाते विराम लगा दिया। उसके बाद उनके सितारे राजनीति में धूमिल होते चले गए।
2014 व 2019 में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस सबका उत्तरदायित्व राहुल गांधी के सिर पर डाल दिया गया। जबकि ऐसा नहीं था। जो भी हुआ, उसमें राहुल गांधी के गृह नक्षत्रों का बड़ा किरदार इन सबके लिए जिम्मेदार बना। उनका संघर्ष अभी भी जारी है। 18 जून 1970 को मकर लग्न में दिल्ली में जन्म लेने वाले राहुल गांधी का मूलांक 9 है। लग्न के मालिक शनि व अंक ज्योतिष के हिसाब से 9 मूलांक का स्वामी मंगल है। इस वर्ष का राजा हिन्दू वर्ष के अनुसार मंगल है और मंत्री शनि है।
किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में लग्न व मूलांक का बड़ा रोल होता है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो इस लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी कुछ करिश्मा दिखा सकते हैं। गांधी की कुंडली में मकर लग्न का होना उन्हें संघर्ष व मेहनत करने वाला राजनीतिज्ञ बनाता है। शनि लग्नेश होने के कारण अति महत्वपूर्ण ग्रह है। मगर शनि चतुर्थ घर में नीच का होकर विराजमान है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन में अतिशय संघर्ष व मेहनत के बाद ही उन्हें मुकाम हासिल होने की संभावना है।
शनि की उच्च दृष्टि दसवें घर कर्मक्षेत्र पर है, जो उन्हें राजयोग देंगी, मगर थोड़ा विलंब से। दसवें घर कर्मक्षेत्र का कारक शुक्र शत्रु के घर में बैठा है। साथ में चद्रमा विवाह स्थान का मालिक होकर नीच राशि में बैठा है, जिसकी वजह से उनका विवाह नहीं हो पाया। दांपत्य सुख से वंचित रखने में राहु ने विशेष रोल निभाया है, क्योंकि राहु उनके दूसरे कुटुम्ब के घर में बैठा है। इसी के चलते कई बार उनका वाणी पर संयम नहीं रहता। वो बोलते कुछ है, मतलब कुछ और बना दिया जाता है।
चतुर्थेश मंगल छठे भाव में होने के कारण उन्हें लोकप्रियता में कमी व जनमानस में छवि खराब करता है। लेकिन पार्टी व बाहर उनके शत्रु उनके खिलाफ साजिश रचते रहे हैं। उन्हें अकेले ही अपना रास्ता तय करने पर मजबूर होना पड़ेगा। जो वह करते भी हैं।
फिलहाल, उनकी कुंडली में मंगल की दशा में राहु का प्रत्यंत्र चल रहा है, जो अंगकारक योग की तरह है। इसमें काफी उतार-चढ़ाव उन्हें देखने को मिलेंगे। सूर्य अष्टम का मालिक होकर छठे स्थान में मंगल के साथ युति बना रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी नहीं मानी जाती। शनि की साढ़ेसती भी अब लगभग समाप्त हो चुकी है। भावना प्रधान होने के कारण राहुल गांधी बाल सुलभ अस्थिर और अत्यधिक भावना प्रधान होंगे। क्योंकि शनि गुरु से दृष्ट हैं और गुरु भी राशि में स्थित हैं।
आत्मबल की कमी के चलते उनकी निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है। 53 वर्ष की आयु के बाद राहुल गांधी नया रूप लेकर आगे बढ़ेंगे। 55 वर्ष की अवस्था में वह एक नई सफलता की और बढ़ेंगे। उनके ग्रहों का योग ऐसी परिस्थितियां बना रहा है कि यदि कांग्रेस को बहुमत भी मिला तो भी वह 2009 की तरह किसी और को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे कर सकते हैं। विपक्षी दलों को भी वह आगे कर सकते हैं।