नाहन, 28 जुलाई : हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के हाटी कबीले (Haati Tribe) को जनजातीय दर्जा मिला है। इसके बाद एक तरफ खुशी है तो दूसरी तरफ नाराजगी है। सिरमौर मुख्यालय में शुक्रवार को इस मुद्दे पर दो अलग-अलग पत्रकारवार्ताएं आयोजित हुई। गुज्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति ने केंद्र सरकार के निर्णय का विरोध किया है। तर्क दिया कि हाटी को अनुसूचित जाति का दर्जा मिलने से गुज्जर समाज के अधिकारों का हनन होगा।
ये भी तर्क दिया गया कि गुज्जर समाज की संख्या हाटियों की तुलना में काफी कम है। समुदाय का कहना था कि वोट की राजनीति के मकसद से हाटी कबीले को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया गया है। गुज्जर समाज के सुभाष चौधरी, राजकुमार, यशपाल व नवीन चौधरी इत्यादि का कहना था कि या तो आरक्षण की प्रतिशतता को बढ़ाया जाए या फिर कैटेगरी में विभाजित किया जाना चाहिए।
उनका कहना था कि गिरिपार में बेहतरीन शिक्षण संस्थान है, बावजूद इसके वहां के बच्चे शहरों में पढ़ते हैं। समुदाय ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का भी निर्णय लिया है। प्रतिनिधियों ने कहा कि साढ़े 4 लाख की जनसंख्या को अनुसूचित जाति का दर्जा दे दिया गया है।
उधर, एक अन्य पत्रकारवार्ता में केंद्रीय हाटी समिति की नाहन इकाई ने 26 जुलाई को हर साल ‘हाटी विजय दिवस’ मनाने का ऐलान किया है। उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह हिन्दुस्तानी ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि 26 जुलाई का दिन कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन राज्य सभा में विधेयक पारित हुआ। पांच दशक पुरानी मांग पूरी हुई है। उनका कहना था कि लंबे संघर्ष के बाद फल मिला है। उन्होंने कहा कि हाटी को जनजातीय दर्जा दिलवाने की मुहिम शुरू करने वाले कई लोग संसार में नहीं हैं।
हिन्दुस्तानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सांसद सुरेश कश्यप, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, राज्य सभा सांसद सिकंदर कुमार इत्यादि का आभार प्रकट किया है।
पत्रकार वार्ता के दौरान गुज्जर व हाटी समुदाय के लोग।