शिमला, 27 जुलाई : हिमाचल प्रदेश स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो (HP State Vigilance & anti Corruption Bureau) चंबा को पथ परिवहन निगम के तत्कालीन सीनियर ऑडिटर सुरेंद्र कुमार के खिलाफ कर्मचारियों की देय राशि में गोलमाल को लेकर सबूत मिले हैं। इसके आधार पर चंबा में तत्कालीन सीनियर ऑडिटर सुरेंद्र कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा-420, 409, 467, 468 व 471 के अलावा पीसी एक्ट 1988 की धाराओं में मामला पंजीकृत किया गया है।
सुरेंद्र कुमार पर आरोप था कि हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) चंबा के कर्मचारियों के रात्रि ओवर टाइम भत्ता, एरियर, वेतन, मेडिकल बिलों, ग्रेच्युटी, टीए बिल व जीपीएफ इत्यादि की राशि को लाभार्थियों के खाते में न डालकर अपने व परिवार के बैंक खातों में ट्रांसफर कर लेता था। इस दौरान सुरेंद्र कुमार ने 29 लाख की राशि का गबन कर लिया। चूंकि विजिलेंस ने प्रथम दृष्टया में जांच के बाद आरोप सही पाए हैं, लिहाजा मामला दर्ज किया गया है।
आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद ये भी साफ है कि जांच के दौरान विजिलेंस की टीम को आरोपी के खिलाफ सबूत मिले हैं। शुरूआती तौर पर चंबा डिपो में 40 लाख रुपए के घोटाले की बात सामने आई थी। इसके बाद आरोपी कर्मचारी को बर्खास्त भी कर दिया गया। निगम के स्तर पर भी प्रारंभिक जांच में सीनियर ऑडिटर को दोषी पाया गया था।
इसी मामले में क्षेत्रीय प्रबंधक सहित कुल चार कर्मचारी भी निलंबित हुए थे। बता दें कि निलंबित कर्मचारियों में से एक लापता भी हो गया था, जिसका शव तीन महीने बाद बरामद हुआ था।
उल्लेखनीय है कि भारतीय मजदूर संघ (Indian Labor Union) ने 24 जून 2020 को चंबा डिपो (Chamba Depot) के घोटाले को उजागर किया था। पांच कर्मचारी निलंबित (Suspend) हुए थे, इन्हें बाद में बहाल भी कर दिया गया था। करीब तीन साल बाद विजिलेंस ने आपराधिक मामला दर्ज किया है। घोटाला उजागर होने के दौरान आरोपी की तैनाती रोहडू डिपो में थी।