शिमला (एमबीएम न्यूज): मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रीमंडल की आपात बैठक में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पूर्ण विश्वास किए जाने के बाद सत्ता के गलियारों में एक चर्चा होती रही कि जब भी मनी लॉंड्रिंग के मामले में मुख्यमंत्री के लिए अप्रिय खबर आती है, तो मंत्रीमंडल में इस प्रकार का प्रस्ताव पारित किया जाता है। यह बहस शुरू हो जाती है कि आखिर इस प्रकार के प्रस्ताव को बार-बार पारित किए जाने की क्या जरूरत है।
वीरभद्र सरकार के दौरान इस प्रकार का प्रस्ताव दो-तीन बार पहले भी पास किया जा चुका है। प्रश्न यह उठता है कि अभी तक किसी भी ओर से विशेषकर कांग्रेस के क्षेत्रों में मुख्यमंत्री के विरूद्व किसी भी वर्ग ने या कैंप ने इस प्रकार की आवाज बुलंद नहीं की। आखिर कैबिनेट में इस प्रस्ताव के बार-बार करने की कौन सलाह देता है।
कल मुख्यमंत्री के निजी आवास हॉलीलाज में दिन भर गतिविधियां चलती रहीं और वहां न केवल कुछ अधिकारी बल्कि कुछ आला अफसर भी मौजूद रहे और कुछ मंत्री भी थे। यह और बात है कि भाजपा नेताओं की इच्छाओं में वो आधे नेता कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो गए हैं। अब उनकी उम्मीदों को आनंद चौहान की गिरफ्तारी के बाद कुछ ज्यादा ही पंख लगने लगे हैं।
भाजपा के पंख उनको अपनी मंजिल तक ले जाएंगे, कहना मुश्किल है। लेकिन पार्टी के बुद्धिजीवी वर्ग की राय है और अच्छी सोच रखने वाली भी यही सोचते हैं कि मंत्रीमंडल में वीरभद्र नेतृत्व में विश्वास प्रखर करने की क्या जरूरत है।
पार्टी में एक सोच यह भी काम कर रही है कि क्या इस प्रकार के प्रस्ताव के पीछे हाईकमान पर किसी प्रकार का दबाव डालने के लिए पारित किया जाता है। यह भी निश्चित है कि उतर भारत में दोनों पहाड़ी राज्य हिमाचल और उतराखंड में कांग्रेस सरकारें हैं और हाईकमान भी यही चाहेगा कि दोनों सरकारें स्थिर रहें और किसी भी सरकार के विरूद्व हाईकमान के टेड़े तेवर नजर नहीं आते।
आज प्रात: मंत्रिमण्डल की बैठक मुश्किल से 20-25 मिनट चली और इसमें परिवार कल्याण तथा राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर नहीं थे तथा उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री विदेशी दौरे के कारण नहीं पहुंच पाए।
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