शिमला (एमबीएम न्यूज़): हिमाचल सरकार ने राज्य पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों द्वारा की गई एक दिवसीय हड़ताल के बाद लोकहित में हिमाचल अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) के अधीन प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए निगम में एस्मा लागू कर दिया है। एस्मा लागू होने पर महकमे का कोई भी कर्मचारी-अधिकारी ड्यूटी की जगह से बाहर जाकर हड़ताल नहीं कर सकता। ऐसा करना आदेश की अवहेलना होगी और दोषी कर्मचारी पर कार्रवाई होगी। सूबे के परिवहन मंत्री जीएस बाली ने आज यहां पत्रकार वार्ता में यह घोषणा की।
गौरतलब है कि 14 जून को अदालती आदेश को ताक पर रखते हुए परिवहन निगम के हजारों कर्मचारियों ने हड़ताल कर परिवहन सेवा ठप्प कर दी थी। हड़ताल की वजह से जहां सरकार को करोड़ों रुपयों का नुकसान होने की आशंका जताई गई है, वहीं दूसरी ओर आम जनजीवन भी खासा प्रभावित हुआ। अदालत ने इसे उनके आदेशों की अवमानना करार दिया था।
बाली ने कहा कि एस्मा लागू होने पर अगर कोई कर्मचारी निगम के एमडी की इजाजत के बगैर डयूटी से बाहर जाता है, तो एस्मा के नियम के तहत तीन साल की सजा का प्रावधान है। बाली ने हड़ताल की सूत्रधार रही पथ परिवहन निगम संयुक्त समन्वय समिति यानी जेसीसी के 30 पदाधिकारियों को भी निलंबित कर दिया। इनमें जेसीसी अध्यक्ष पवन गुलेरिया के अलावा शंकर सिंह ठाकुर, दलीप, जीत राम, हेमचंद, खेमेंद्र गुप्ता इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने पर सैक्सन 311/2 बी के तहत जेसीसी पदाधिकारियों पर कार्यवाही की गई है।
उन्होंने कर्मचारियों की हड़ताल को गलत ठहराते हुए कहा कि सरकार ने जेसीसी की मांग पर ही पिछले साढ़े तीन वर्षों में कर्मचारियों को 560 करोड़ के वितीय लाभ प्रदान किए हैं। जिनमें ओवर टाईम, मैडिकल भत्ते सहित अन्य वितीय लाभ शामिल हैं। हालांकि कर्मचारियों की निगम को रोडवेज बनाने संबधीं मांग भी थी, जो हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं है। इसके लिए भी हमने मुख्यमंत्री से मामला उठाया था। इसी तरह एक अन्य मांग 150 करोड़ के पीएफ जो पूर्व सरकार के समय का था, उसके लिए भी हमने मुख्यमंत्री से मांग की है। उनका कहना था कि परिवहन विभाग ने कर्मचारियों की अधिकतर मांगें मानीं थीं। उसके बावजूद भी उन्होंने गैरकानूनी तरीके से अदालत के आदेशों की अवहेलना की, जिसके चलते उन पर हमें कार्यवाही करनी पड़ रही है।