शिमला (शैलेंद्र कालरा) : रविवार सुबह 11 बजे के आसपास अनुराग ठाकुर के बीसीसीआई का अगला बॉस बनने की खबर आ गई। सबसे अमीर संस्था के सर्वोच्च पद पर पहुंचने के लिए कई अग्रिपरीक्षाओं से गुजरना पडता है। लेकिन अनुराग ने वो कर दिखाया है जो शायद अगले कई दशकों में हिमाचल से कोई कर पाने में सफल हो पाएगा।
23 अक्तूबर 1974 को जन्मे सांसद अनुराग ने यह मुकाम 41 वर्ष 7 महीने की उम्र में पाया है। एक छोटा सा पर्वतीय प्रदेश जहां मात्र 68 विधानसभा क्षेत्र है, लोकसभा की 4 सीटें है। उस प्रदेश से निकलकर बीसीसीआई का अध्यक्ष पद पाना कोई आसान नहीं था। बेशक ही पिता प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल की राजनीतिक पहुंच का फायदा पहले मिला होगा। लेकिन बगैर काबिलियत के इस पद तक पहुंचना नामुमकिन था।
25 साल की उम्र में ही अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने थे। 16 साल के बाद मौका आया है जब बीसीसीआई का सर्वोच्च पद पर हिमाचली सांसद काबिज हुआ है। इस दौरान अनुराग ने बीसीसीआई में एक के बाद एक पद हासिल किए। प्रथम श्रेणी मैच खेलें। यहां तक कि जूनियर क्रिकेट टीम में चयनकर्ता भी बनें। देखिए, अनुराग ठाकुर ने कोई भी टैस्ट मैच नहीं खेला लेकिन 100 टैस्ट मैच खेल चुके दिलीप वेंगसकर की कतार में बीसीसीआई ने अनुराग को केवल काबिलियत के बूते ला खडा किया था।
अब तक सबसे कम उम्र में बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पाने का रिकार्ड भी अनुराग ने अपने नाम कर लिया है। कुल मिलाकर इस समूचे घटनाक्रम का बडा निष्कर्ष यह है कि क्रिकेट के अंर्तराष्ट्रीय जगत में जब भी कही बीसीसीआई के अध्यक्ष पद का परिचय पूछा जाएगा तो निश्चित तौर पर हिमाचल का नाम आएगा। सोशल मिडिया में अनुराग की इस सफलता से जुडी खबरें जमकर वायरल हो रही है। लेकिन अब तक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का अनुराग को बधाई को लेकर कोई ट्वीट आया है और न ही फेसबुक पेज पर कोई प्रतिक्रिया आई है।