ऊना (एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल प्रदेश में इन दिनों मौसम के बढ़ते तापमान के साथ-साथ राजनीति के मिजाज भी गर्म हो रहे हैं। इसी महीने अरूण धूमल ने वीरभद्र सिंह की संपित्तयों को लेकर दूसरी बार हमला बोला है। वीरवार को ऊना में पत्रकारों से बातचीत में अरूण धूमल ने प्रतिभा सिंह की दिल्ली में में सवा चार करोड़ की कोठी का खुलासा किया है। अरूण ने कहा कि मुख्यमंत्री बताएं कि दिल्ली के ग्रेटर कैलाश पार्ट वन में डब्ल्यू 122 नंबर कोठी प्रतिभा सिंह के नाम पर है या नहीं। उन्होंने कहा कि झूठ बोलने में हमें माहिर बताने वाले वीरभद्र सिंह बताएं कि जो मामले सामने आ रहे हैं, क्या इसपर वो सच बोलेंगे।
अरूण ने कहा कि वीरभद्र सिंह ईडी द्वारा मनी लांड्रिंग मामले में अटैच की गई संपत्तियों में अपने बेटे और बेटी की संपित्तयों की बात तो कर रहे हैं, लेकिन इस कोठी के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं। हकीकत यह है कि ईडी ने बेटे और बेटी की संपत्ति के साथ साथ प्रतिभा सिंह की इस 4.30 करोड़ रूपये की कोठी को भी अटैच किया है। क्या वीरभद्र इस मामले में जनता को सच्चाई बताने की हिम्मत दिखाएंगे। अरूण ने कहा कि प्रतिभा सिंह ने 2014 लोकसभा चुनाव के बाद और चुनावी नतीजे निकलने से पहले 13 मई को 4.30 करोड़ रूपये में इस कोठी की रजिस्ट्री करवाई थी।
उन्होंने सवाल किया है कि कहीं यह कोठी चुनावी फंड से तो नहीं खरीदी गई थी। रजिस्ट्री में देव कुमार पाठक गवाह हैं। ये देवकुमार वेंचर एनर्जी में निदेशक बताए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह वही वेंचर एनर्जी फर्म है, जिसके मालिक बकामुल्ला हैं। वीरभद्र बताएं कि अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने इस कंपनी को क्या क्या फायदे दिए गए हैं। अरूण ने इस बार यहां देवकुमार पाठक के बारे में पूछा है, वहीं इससे पहले वे मीना कुमारी नामक महिला के बारे में भी सवाल कर चुके हैं, जिसका जबाव अभी तक वीरभद्र परिवार नहीं दे पाया है। उन्होंने सवाल किया कि मुख्यमंत्री बताएं कि उनके परिवार द्वारा दिल्ली में करोड़ों की संपत्तियां खरीदने के लिए धन कहां से आया।
अरूण ने कहा कि एक तरफ होलीलॉज के साथ पांच हजार में बेची गई जमीन के मालिक चालीस साल से न्याय के लिए भटक रहे हैं, वहीं इसके साथ लगती जमीन पर वीरभद्र सिंह ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए अपने बेटे को होटल बनाने की अनुमति दिलाई है। इस अवसर पर विधायक वीरेंद्र कंवर, जिलाध्यक्ष बलवीर बग्गा, युवा मोर्चा के राज्य उपाध्यक्ष सुमित शर्मा, जिला महामंत्री यशपाल राणा, मीडिया प्रभारी राजकुमार पठानिया, युवा नेता राजन सहोड़, मदनपुरी, नगनौली के प्रधान ओंकार सिंह, मनोहर लाल, मास्टर तरसेम, सतपाल सैनी व धर्मवीर समेत कई भाजपा नेता मौजूद रहे।
अभी और करूंगा खुलासे
अरूण धूमल ने कहा कि मुख्यमंत्री तीन साल से एक फर्जी शिकायत पर हमारी संपत्तियां नापने की बात करते आ रहे हैं। कभी कहते हैं दो महीने में नाप दूंगा, कभी 15 दिन में धूमल की संपत्तियां नापने की बात करते हैं। अरूण ने कहा कि हम जांच के लिए तैयार हैं, क्यूंकि हमारे पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन इस कड़ी में मैने वीरभद्र की संपत्तियों को नाप लिया है और जो नापा है, उसे जनता के सामने ला रहा हूं। आने वाले दिनों में और खुलासे करूंगा। उन्होंने कहा कि 7 सितंबर 2103 को मुख्यमंत्री ने मेरे खिलाफ झूठी शिकायत पर विजिलेंस जांच शुरु करवाई थी। इसके बाद शुरु हुए मसलों में वीरभद्र के कई खुलासे हुए हैं और अब तक 18 पत्रकारवार्ता वीरभद्र सिंह के मामलों को लेकर कर चुका हूं।
पंच बनने लायक नहीं छोड़ूंगा
अरूण धूमल ने कहा कि मैं आम आदमी के नाते मुख्यमंत्री से सवाल पूछ रहा हूं। मुख्यमंत्री का फर्ज है कि वे इसका जबाव दें। मैं पंच बनूं या न बनूं, लेकिन वीरभद्र सिंह का सच जनता के सामने लाकर रहूंगा और उन्हें आने वाले समय में पंच बनने लायक नहीं छोड़ूगा। राजनीति में आने के सवाल पर अरूण ने कहा कि मैं लंबे समय से राजनीति में हूं और भाजपा के लिए बतौर कार्यकर्ता काम करता हूं। मेरा चुनाव लडऩे का कोई इरादा नहीं है और जबरन मुझे कोई लड़ा नहीं सकता।
वरिष्ठ व काबिल राजनेता हैं वीरभद्र
अरूण धूमल ने कहा कि व्यक्गित रूप से मैं वीरभद्र सिंह का आदर करता हूं। मानता हूं कि वे प्रदेश के वरिष्ठ व काबिल राजनेता हैं। उन्होंने कहा कि मुझे भी कई बार कुछ मसलों पर दुख होता है, लेकिन यह लड़ाई वीरभद्र सिंह ने विजिलेंस में झूठे मामले के सहारे हमारे विरुद्व शुरु की थी। विजिलेंस ने तो मेरे विरुद्व मामले की क्लोसर रिपोर्ट बना दी है। लेकिन वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के भ्रष्टाचार के मामले खुलना शुरु हो गए हैं।
अमरेंद्र सिंह से सीख लें वीरभद्र
अरूण धूमल ने कहा कि 2003 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भी एक जनसभा में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पर लगाए थे। दस साल बाद अमरेंद्र सिंह को माफी मांगनी पड़ी थी। अब तो वीरभद्र व अमरेंद्र सिंह आपस में समधी हैं, ऐसे में वीरभद्र सिंह को अमरेंद्र सिंह से कोई सीख ले लेनी चाहिए थी।
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