नाहन (शैलेंद्र कालरा) : सोमवार सुबह से पुलिस महकमे में यह खबर आग की तरह फैली कि फांसी के सजायाफ्ता कैदी श्यामल राव रेड्डी को 12 साल बाद कर्नाटक से दबोच लिया गया है। हालांकि शाम तक इस बात की कोई पुष्टि नहीं हो पाई। अलबत्ता इतना जरूर स्पष्ट हुआ कि कर्नाटक में एक संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ की गई। दिसबंर 2001 में रेड्डी ने अपने एक साथी दीपराम निवासी सुन्नी के साथ मिलकर ओक्सलैंड होटल शिमला के मालिक संदीप सूद व उनकी माता पुष्पा सूद के दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था। इसके बाद हिमाचल हाईकोर्ट ने 17 मई, 2004 को रेड्डी को फांसी की सजा सुनाई थी जबकि उसके साथी दीपराम को उम्रकैद की सजा दी गई। लेकिन प्रदेश में उस वक्त सबसे बडे जेल ब्रेक को अंजाम देकर रेड्डी 16 अगस्त 2004 को फरार हो गया।
गौरतलब है कि रेड्डी आईजीएमसी शिमला के शौचालय की पाईप से भी उतरकर फरार हुआ था। इसके बाद उसे शिमला पुलिस ने आंध्र प्रदेश के हैदराबाद से पकडा था। जेल से फरार होने के बाद रेड्डी पर 1 लाख का ईनाम घोषित हुआ। साथ ही इंटरपोल ने सीबीआई के माध्यम से जुलाई 2011 में रेड कार्नर नोटिस जारी किया था यानि रेड्डी अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर वांछित है। राज्य के इतिहास में यह एक सबसे बडा जघन्य दोहरा हत्याकांड था। हत्याकांड को अंजाम देने के बाद रेड्डी को नाहन पुलिस ने ही पकडा था। उस वक्त रेड्डी की जेब से शव की अंगुलियां तक बरामद हुई थी।
सिंगापुर से दिवगंत संदीप सूद के भाई कैप्टन प्रदीप सूद ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि उन्होंने लगातार तीन साल तक अपने भाई व माँ को न्याय दिलवाने की दिन रात कोशिश की, अब वह तमाम उम्मीदें छोड चुके थे। अगर सिरमौर पुलिस ने दोबारा इस मामले में रेड्डी को पकडने में कोशिश की है तो पुलिस की प्रशंसा करनी होगी।
उधर एसपी सौम्या सांबशिवन ने कहा कि हरेक मामले की पुलिस जांच करती रहती है। पुलिस टीमों को अन्य राज्यों में भेजना सामान्य बात है। उन्होंने रेड्डी की गिरफ्तारी से इंकार किया है।