मंडी: हिमाचल में ग्रामीणों द्वारा कीचड़ युक्त गंदा पानी पीने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जब वायरल हो रहे इस वीडियो की जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि यह वीडियो जिला के द्रंग विधानसभा क्षेत्र की लटराण पंचायत के कुफरधार गांव का है। गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व आईपीएच मंत्री का गृह क्षेत्र द्रंग है। इस वीडियो को हाल ही में एक व्यक्ति ने गांव में जाकर बनाया है। वीडियो में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि गांव की कुछ महिलाएं और बच्चे बरसात के कारण ठहरे पानी को बर्तनों में भर रहे हैं और बच्चे इस पानी को पी रहे है। वीडियो बनाने वाला व्यक्ति इन महिलाओं से बात करता है और महिलाएं अपने गांव में चल रही पेयजल किल्लत के बारे में बता रही हैं। महिलाएं बताती हैं कि उन्हें हर वर्ष ऐसे ही गंदे पानी से अपना गुजारा करना पड़ता है। विभाग व सरकार इनकी इस समस्या की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
स्थायी कोई रिहायश नहीं, अस्थाई शैड में रहते हैं लोग
जब इस पूरे वीडियो की जांच पड़ताल की गई तो यह बात भी सामने आई कि कुफरधार में कोई स्थायी रिहायश नहीं है। यहां ग्रामीण फसलों की बिजाई के दौरान आते हैं, क्योंकि बहुत से लोगों की यहां पर जमीनें हैं। ग्रामीणों में अमर सिंह, भाग सिंह, साजी देवी, सुनीता देवी, राम सिंह, टेक चंद, हिमी देवी, बरती देवी, सौणी देवी, कली देवी आदि का कहना है कि मधराण गांव के ग्रामीण बरसात में 6 महीनों के लिए कुफरधार में खेतीबाड़ी और मटर की पैदावार के लिए रिहायश करते हैं। जिन्हें कई सालों से पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
जनमंच में उठा था मुद्दा
यह भी मालूम हुआ कि एक वर्ष पहले इलाके के थल्टूखोड़ गांव में जब जनमंच हुआ था तो उस वक्त भी ग्रामीणों ने यहां पर पेयजल किल्लत का मामला उठाया था। जनमंच में आए उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर ने उस दौरान आईपीएच विभाग को शीघ्र ही प्रारूप तैयार कर कुफरधार के ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मुहैया करवाने का आदेश दिया था। लेकिन जनमंच कार्यक्रम बीत जाने के बाद आईपीएच विभाग फिर से बेखबर हो गया। यहां गांव के लिए कोई भी योजना आज तक नहीं बन पाई है।
1996 में बिछाई थी लाइन
ग्रामीणों के अनुसार वर्ष 1996 में कुफरधार के लिए विभाग द्वारा पेयजल लाइन बिछाई गई थी। इस दौरान लगभग दो साल तक नियमित रूप से पानी की आपूर्ति भी होती रही। लेकिन उसके बाद इस लाइन की देखरेख और रख-रखाव को लेकर विभाग ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिस कारण यहां बिछाई गई पाइप लाइनें भी जंग से खत्म हो चुकी हैं। ग्रामीणों ने आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर से विभाग के इस लापरवाह रवैये पर कड़ा संज्ञान लेने की मांग उठाई है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि आईपीएच विभाग अब भी संजीदा होते हुए शुद्ध पेयजल उपलब्ध नही करवाता है तो मजबूरन उन्हें संघर्ष की राह तैयार करनी पड़ेगी।
धनराशि मिलते ही शुरू होगा काम
हिमाचल आईपीएच विभाग के एसडीओ धर्म सिंह रावत का कहना है कि कुफरधार में स्थाई तौर पर किसी ग्रामीण की रिहाइश नहीं है। ग्रामीण यहां बरसात में अस्थाई शैड बनाकर खेतीबाड़ी करते हैं। विभाग की यहां कोई पेयजल योजना भी नहीं है। जनमंच में ग्रामीणों ने पेयजल मुहैया करवाने की मांग उठाई थी, जिसके लिए एस्टीमेट बनाकर भेजा गया है। धनराशि की स्वीकृति मिलती है तो कार्य शुरू किया जाएगा।