एमबीएम न्यूज/दिल्ली/शिमला
आखिरकार त्याग, समर्पण व निष्ठा जगत प्रकाश नड्डा के काम आई। हिमाचल प्रदेश से कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देकर दिल्ली पहुंचे नड्डा आज जिस पद पर बैठेंगे, वह उनके त्याग का परिचायक है। वर्ष 2010 में जेपी नड्डा हिमाचल की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार के वन व संसदीय कार्य मंत्री के पद से इस्तीफा देकर दिल्ली संगठन की राजनीति में चले गए थे। उस समय केंद्र में भाजपा 2014 चुनाव की तैयारी कर रही थी। यह बड़ा रिस्क भी था, क्योंकि प्रदेश में नड्डा महत्वपूर्ण मंत्री पद पर आसीन थे। मगर राजनाथ सिंह व नरेंद्र मोदी के बुलावे पर इन्होंने मंत्री पद को त्याग कर संगठन का कार्य संभाला।
चूंकि उस समय मोदी केवल संगठन के ही अहम ओहदे पर थे। लिहाजा नड्डा ने जब मंत्री पद छोड़कर दिल्ली आने की बात को स्वीकार किया तो लाजमी तौर पर नजदीकियां बढ़ी होंगी। मंत्रिमंडल में नड्डा ने शपथ नहीं ली है। यही कारण माना जा रहा है कि नड्डा को राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओहदा दिया जा सकता है। 2 दिसंबर 1960 को पटना में जन्में नड्डा ने 1993 में विधानसभा का चुनाव जीत कर राजनीतिक जीवन शुरू किया था। छात्र राजनीति से आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
नरेंद्र मोदी जब हिमाचल भाजपा के प्रभारी थे, तब उन्होंने जगत प्रकाश नड्डा में प्रबंधन कौशल की कला जांच परख ली थी, क्योंकि नड्डा छात्र राजनीति से होते हुए संघ में पहुंचे थे। नरेंद्र मोदी से उनकी नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं। जैसे ही 2014 में भाजपा की केंद्र में सरकार आई, वह उस समय संगठन में महासचिव पद पर कार्यरत थे। बाद में उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। मंत्री होने के साथ संगठन में भी वह महासचिव पद पर बने रहे। उनके महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्हें यूपी चुनावों का प्रभारी बनाया गया था। यूपी में उनकी लीडरशिप में भाजपा ने जोरदार प्रदर्शन किया।
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नरेंद्र मोदी, अमित शाह व जेपी नड्डा की तिकड़ी को महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए बीजेपी में जाना जाता है। इन तमाम पहलुओं के मद्देनजर जेपी नड्डा विश्व के सबसे बड़े संगठन के रूप में जानी जाने वाली बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक पहुंचने में कामयाब हुए। उनकी ताजपोशी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वस्त के रूप में उन्हें यह ईनाम मिला है। अपनी नई पारी की शुरूआत वो ऐसे समय में करेंगे, जब चप्पा-चप्पा भाजपा पूरे देश के मानचित्र पर छाई हुई है। उनके कार्यकाल में हिमाचलवासियों को भी प्रदेश के लिए विकास की योजनाओं के मिलने की आस बंधी है।
बहरहाल कुल मिलाकर अगर नड्डा को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की बागडोर सौंप दी जाती है तो यह बात साबित हो जाएगी कि देश में अमित शाह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वासपात्र जेपी नड्डा ही हैं। सत्तारूढ़ राजनीतिक दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष पावरफुल शख्सियत होता है। 2014 में भी नड्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की अटकलें शुरू हुई थी।