एमबीएम न्यूज/नाहन/सोलन
शूलिनी विश्वविद्यालय में पीलिया फैलने से हडकंप मचा हुआ है। अब तक तकरीबन 80 से 100 छात्र इसकी चपेट में आ चुके हैं। आलम यह है कि चिंतित अभिभावक अपने बच्चों को घर लाकर निजी उपचार उपलब्ध करवा रहे हैं। हालांकि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन बताया जा रहा है कि एक लोकल खड्ड से ही विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा पेयजल की सप्लाई छात्रों को की जा रही थी। अकेले आर्यभट्ट हॉस्टल के ही तकरीबन 50 छात्र बीमार हुए हैं।
जुटाई जानकारी के मुताबिक सोलन के ही एक निजी अस्पताल में ही लगभग 60 छात्रों ने फिजिशियन से चैकअप करवाया। सवाल इस बात पर भी उठाया जा रहा है कि हर साल छात्रों से लाखों रुपए की फीस वसूलने वाली यूनिवर्सिटी के छात्रों को दूषित पेयजल की आपूर्ति क्यों की जा रही है। प्रश्न इस बात पर भी पैदा हो रहा है कि सरकारी महकमे क्यों निरीक्षण करने से चूक गए। सूत्रों का कहना है कि करीब एक महीने से विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा छात्रों को मिनरल वॉटर उपलब्ध करवाया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग ने विश्वविद्यालय की पेयजल योजना व स्त्रोत से पानी के सैंपल जांच के लिए पूना भेजे हैं। विश्वविद्यालय के कैंपस में पीलिया फैलने से स्वास्थ्य विभाग हरकत में है। विभाग ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को तुरंत ही सप्लाई बंद करने को कह दिया था। जानकारी के मुताबिक जन स्वास्थ्य व सिंचाई विभाग ने मार्च महीने में ही पेयजल आपूर्ति के दूषित होने की आशंका जाहिर कर दी थी। साथ ही प्रबंधन को सप्लाई बंद करने को कहा था। बावजूद इसके दूषित पानी की सप्लाई जारी रही।
प्रबंधन द्वारा यह कहा जा रहा है कि मार्च महीने में जिस पानी का सेवन किया गया था, उसके कारण ही छात्र बीमार हुए हैं। प्रबंधन का तर्क यह भी है कि हाल ही में पानी की जांच करवाई गई थी। इसमें किसी भी तरह की गडबड़ी नहीं पाई गई थी।