सोलन,10 (एमबीएम न्यूज) : डा.यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी के मौसम एवं पर्यावरण विभाग के वैज्ञानिकों ने पूर्वानुमान लगाया है कि अगस्त माह के प्रथम पखवाड़े में मानसून ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक सक्रिय रहेगा। जबकि निचले व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में कम सक्रिय रहेगा। इस दौरान सापेक्षित आद्र्रता 70-90 प्रतिशत तक होने की संभावना है। नौणी विवि के मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो दूसरे पखवाड़े में मानसून के अधिक सक्रिय रहने की संभावना है। इस दौरान रात-दिन के तापमान में गिरावट होने की भी संभावना है।
क्या करें किसान
डा.वाईएस परमार यूनिवर्सिटी नौणी के संयुक्त निदेशक (कम्युनिकेशन) डा. एसके गुप्ता ने बताया कि निचले क्षेत्रों में किसान खरीफ प्याज की तैयार पनीरी को लगाएं। मध्य ऋतु की फूलगोभी, पटना स्नोवाल न जाइंट स्नोवाल की पनीरी तैयार करें। अगेती फूलगोभी की तैयार पनीरी की खेतों में रोपाई करें। अदरक में नत्रजन की दूसरी मात्रा खड़ी फसल में डालें। बंदगोभी में प्राइड ऑफ इंडिया, गोल्डन एकर नंसंकर किस्मों की नर्सरी लगाए। गाजर, मटर की अगेती किस्म की बिजाई करें।
डा.परमार विवि के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से टमाटर में फल सडऩ रोकने के लिए जमीन से 15-20 सैंमी ऊंचाई तक स्वस्थ व पीले पत्तों को निकालने की सलाह दी है। साथ ही जमीन पर गिरे हुए सड़े फलों को एकत्रित करके किसी गड्ढे में डालें। किसान पौधें पर मैंकोजेब 250 ग्राम या रिडोमिल गोल्ड 250 ग्राम को 100 लीटर पानी के घोल का 8-10 दिन के अंतराल पर छिडक़ाव करें। जिन क्षेत्रों में जीवाणु धब्बा रोग के आक्रमण की आशंका है उन क्षेत्रों में ब्लाईटॉक्स,37.5 ग्राम व स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 1.5 ग्राम का 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। शिमला मिर्च व कड़वी मिर्च में फल सडऩ व पत्तों का झुलसा रोकने के लिए 7-10 दिनों के अंतराल पर बोर्डो मिश्रण का छिडक़ाव करें। खेतों में पानी के निकास का उचित प्रबंध करें।
ग्रीन हाउस में क्या करें किसान
विशेषज्ञों का कहना है कि बाहर नमी बढऩे पर पॉलीहाउस में फॉगर्स का उपयोग जरूरत पडऩे पर ही करें व अधिक नमी से फसल को बचाने के लिए वेंटीलेशन अथवा पंखों का सहारा लें। शिमला मिर्च व टमाटर के पुराने पत्तों को निकालकर पॉलीहाउस के बाहर किसी गड्ढे में डालें। पौधें में टपक सिंचाई द्वारा सिंचाई व खादों की फर्टिगेशन अनुमोदन अनुसार जारी रखें। टपक सिंचाई प्रणाली की समय-समय पर जांच करें। पॉलीहाउस में उचित तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने के लिए साइड वेंटीलेशन, टॉप वेंटीलेशन, शेड नेट व फॉगर्स का उपयोग करें। जिन पॉलहाउस में पंखे लगे हों, वहां पंखों द्वारा तापमान को नियंत्रण में लाए। इस समय फलों का तुड़ान जारी रखें व बाजार में उचित भाव में बेचने का प्रबंध करें।
पुष्प उत्पादक क्या करें
किसान ग्लेडियोलस की पछेती किस्मों के कंदों की बुआई करें तथा गेंदे की पछेती फसल का पौध रोपण करें। गुलाब के सूखे फूलों को काटे व बीमारी वाले पत्तों को तोड़ें। सर्दियों में उगाए जाने वाले मौसमी फूलों की पौध उत्पादन के लिए क्यारियों की तैयारी एवं अगेती फूल जैसे कि गोडेशिया, वार्षिक गुलदाउदी, एंटीराइनम लाइमोनियम की पौध तैयार करने के लिए बीज की बिजाई करें। चाइना एस्टर, गैंदे, कारनेशन में फूलों की तुड़ाई, गुलदाऊदी में अवांछित शाखाएं हटाएं, लिलियम के बल्बों को खेतों से उखाड़ें व कारनेशन की जनवरी-फरवरी में फूल तैयार करने के लिए हरितगृहों में लगाने का कार्य पूरा करें। लिलियम के कंदों को निकालकर, सुखाकर उन्हें उपचारित करने के बाद उन्हेें शीतगृह में रखें तथा पहले से रखे गए ट्यूलिप,डैफोडिल,आइरिस व लिलियम के कंदों का निरीक्षण करें।
ओला अवरोधक जालियों को हटाएं
विवि के वैज्ञानिकों ने बागबानों को सलाह दी है कि वह ओला अवरोधक जालियों को हटा लें। सेब की तुड़ाई का कार्य मध्यवर्ती क्षेत्रों में जारी रखें। ऊंचे क्षेत्रों में नाशपाती की अगेती किस्मों की तुड़ाई कर लें। नर्सरी से घास समय-समय पर निकालें। ऊंचे शुष्क क्षेत्रों में पकी हुई खुमानियों को धूप में या सन ड्रायर में सुखाएं। अखरोट में साईड विनियर/चिप बडिंग का कार्य जारी रखें। आम के फलों की तुड़ाई कर लें। पौधे के तौलियों में से वर्षा के पानी का उचित निकास करें। नींबू प्रजाति पौधें में सूक्ष्म तत्वों विशेष रूप से जस्ते की कमी को पूरा करने के लिए एक किलो जिंक सल्फेट 500 ग्राम अनबुझा चूना 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। आम की गुठलियों की नर्सरी में बुआई करें।