वी कुमार/मंडी
देवराज भारद्वाज, यह नाम प्रदेश भर में पिछले कुछ चुनावों से चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि यह महोदय जहां से भी चुनाव लड़ते हैं वहां के लोग भी शायद इन्हें नहीं जानते, लेकिन इनकी संपत्ति के बारे में सुनकर सभी हैरान रह जाते हैं। इस बार के लोकसभा चुनावों में भी देवराज भारद्वाज सबसे अमीर प्रत्याशी के तौर पर चुनावी दंगल में हैं।
कौन हैं देव राज भारद्वाज
इसे देश के लोकतंत्र की खूबसूरती ही कहा जाएगा कि यहां पर हर किसी को हर तरह का चुनाव लड़ने की पूरी स्वतंत्रता है। इस स्वतंत्रता का पूरा लाभ उठा रहे हैं 66 वर्षीय देवराज भारद्वाज। सोलन जिला की कंडाघाट तहसील के बांजनी गांव के रहने वाले देवराज भारद्वाज इस बार मंडी सीट से बतौर आजाद प्रत्याशी अपना भाग्य आजमाने मैदान में उतरे हैं। देवराज भारद्वाज इसलिए सुर्खियों में आए हैं, क्योंकि यह हिमाचल प्रदेश में चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों में से सबसे अमीर प्रत्याशी हैं। देवराज के पास 69 करोड़ की संपत्ति है।
इनके पास 65 बीघा पुश्तैनी जमीन है, जिस पर देवदार का घना जंगल और पलम व आडू के बगीचे हैं। इसकी कीमत 66 करोड़ रूपए है। देवराज के पास 83 हजार की नकदी और एक स्कूटी है जबकि पत्नी के पास 500 ग्राम सोना और एक किलो चांदी है। इनके पास न तो कोई कार है और न ही अन्य किसी प्रकार का वाहन। जनाब बस में सफर करते हैं। ऐसे ही अपना प्रचार भी कर रहे हैं। देवराज के दो बेटे हैं जो अपना कारोबार करते हैं। देवराज भारद्वाज 2012 से चुनाव लड़ रहे हैं। 2012 में उन्होंने सोलन सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा। इसके बाद 2014 में हमीरपुर संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा। फिर 2017 में कसुम्पटी सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा।
इस बार मंडी संसदीय सीट से अपना भाग्य आजमाने मैदान में उतरे हैं। तीन चुनावों में मतदाताओं ने देवराज को नकार दिया, लेकिन देवराज को भरोसा है कि मंडी से उन्हें जीत जरूर मिलेगी। देव राज के मुद्दों की बात करें तो देव राज बताते हैं कि राजनैतिक दलों ने भ्रष्टाचार के नाम पर गंदगी फैला दी है। देवराज की मानें तो उन्हें किसी नीजि संस्था द्वारा राष्ट्रीय गौरव अवार्ड भी दिया जा रहा है। यह अवार्ड देवराज को चुनाव लड़ने और जनहित के मुद्दों को उठाने के लिए दिया जाएगा।
हालांकि अभी उनका नाम ही आगे भेजा गया है लेकिन देवराज को पूरा विश्वास है कि उन्हें यह अवार्ड जरूर मिलेगा। बहरहाल तीन बार अलग-अलग सीट से चुनाव लड़कर हार का मुहं देख चुके देव राज एक बार फिर अपना भाग्य आजमाने मैदान में उतरे हैं। देवराज को देखकर यह कतई नहीं कहा जा सकता कि वह हार-जीत के लिए मैदान में उतरे हों। लेकिन इतना जरूर है कि देवराज में चुनाव लड़ने का एक जुनून नजर आता है। इस जनून की खातिर वह लगातार अपना भाग्य आजमाने प्रदेश भ्रमण पर निकल पड़े हैं।