एमबीएम न्यूज/शिमला
प्रदेश की राजनीति में दिलचस्प घटनाक्रम सामने आ रहा है। इसके तहत कांगड़ा में पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार को अपने शार्गिद किशन कपूर को संसद में पहुंचाने की जिम्मेदारी है तो वहीं हमीरपुर सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को ही बागडोर दे दी गई है, क्योंकि दो बार के मुख्यमंत्री धूमल का अपना बेटा ही मैदान में है। मंडी संसदीय सीट पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रतिष्ठा सीधे दांव पर लग गई है।
यही वजह है कि मुख्यमंत्री इसी सीट पर चुनाव प्रचार के लिए सिमट गए हैं। मुख्यमंत्री केवल साथ लगते कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के कुछ इलाकों में ही चुनाव प्रचार कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान किशन कपूर का टिकट कट गया था। उस समय फफक-फफक कर रोने का वीडियो वायरल हुआ तो पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने स्ट्रांग स्टैंड लिया। कई मंचों से किशन कपूर कह चुके हैं कि वो शांता कुमार जी के शार्गिद हैं। मंडी संसदीय सीट पर मुख्यमंत्री की पैरवी से ही राम स्वरूप को टिकट मिला है, लिहाजा अब जितवाने की जिम्मेदारी भी है। यही वजह हो सकती है कि मुख्यमंत्री ने मंडी में ही डेरा डाल लिया है।
इस तमाम राजनीतिक घटनाक्रम के बीच अहम बात यह है कि शिमला संसदीय क्षेत्र को बीजेपी ने बडे़ चेहरे के प्रचार से वंचित किया हुआ है। हालांकि तेजतर्रार विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल बखूबी जिम्मेदारी संभाले हुए हैं, लेकिन इस सीट पर जहां कांग्रेस ने जनार्था व हरदीप बाबा की वापसी की है, वहीं भाजपा ने केवल पूर्व मंत्री सोफत की ही वापसी की है। कुल मिलाकर प्रदेश की राजनीति के तीन बडे़ चेहरों ने चुनाव में सीधे ही अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है।
मुख्यमंत्री ने अब यह भी बयान दिया है कि चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा। इससे संभवतः एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश होगी। पहली यह कि मंत्री अपने पद को बरकरार रखने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे, वहीं जो मंत्री बनना चाहेंगे, वो भी पूरा दमखम लगा देंगे।
वीरवार को नामांकनपत्र दाखिल करने के दौरान तो सीएम जयराम ठाकुर, पूर्व मंत्री शांता कुमार व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी पहुंच गए थे। लेकिन अब यह सच्चाई है कि तीनों ही शीर्ष नेता अपने-अपने हलकों तक ही सिमट जाएंगे।