एमबीएम न्यूज़/शिमला
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित + 2 की परीक्षा में सरकारी स्कूलों ने निजी विद्यालयों को पछाड़ दिया है। कला संकाय में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों ने मैरिट में 17 स्थान हासिल किए, जबकि निजी स्कूलों को एक स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। हालांकि कॉमर्स संकाय में निजी स्कूल की छात्रा टॉपर बनी, लेकिन ओवरऑल 13 में से कॉमर्स में भी 9 स्थानों पर सरकारी स्कूलों का ही दबदबा रहा। जहां तक साइंस संकाय का सवाल है तो यहां निजी स्कूल आगे रहे, 27 में से 22 स्थान निजी स्कूलों को हासिल हुए।
जानकार बताते हैं कि विज्ञान संकाय में भी सरकारी स्कूल भारी पड़ सकते हैं, बशर्ते शिक्षा विभाग स्कूलों में रिक्त पदों को भरने का प्रयास करें। तीन संकायों में 58 विद्यार्थियों ने मैरिट में स्थान बनाया, इसमें से 33 विद्यार्थी सरकारी स्कूलों के रहे।
अहम बात यह है कि इस बार मैरिट सूची में बेटियों ने बेटों को जबरदस्त तरीके से पिछाड़ा है। मैरिट सूची में 43 लड़कियों को स्थान अर्जित हुए, जबकि 15 लड़के ही मैरिट में स्थान बना पाए। इस साल निजी स्कूलों के कथित शिक्षा के व्यापार को लेकर खासा बवाल मचा हुआ है।
अभिभावक आंदोलन पर भी उतर गए, मजबूरन शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी करने पड़े। निजी स्कूलों के निरीक्षण भी लगातार जारी है। इसी बीच स्कूल शिक्षा बोर्ड की मैरिट ने यह साबित कर दिया है कि अगर निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावक सरकारी स्कूलों पर विश्वास जताए तो निश्चित तौर पर प्रदेश में शिक्षा की तस्वीर बदल सकती है।
खास बात यह है कि जहां निजी स्कूलों द्वारा भारी भरकम फीस को वसूला जाता है, वही सरकारी स्कूलों में शिक्षा करीब-करीब नि:शुल्क ही है। यहां तक की नि:शुल्क किताबो व यूनिफॉर्म का भी प्रावधान सरकार करती है। इस साल के शैक्षणिक सत्र में एक अहम बदलाव यह भी देखने को मिला कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। कई अधिकारियों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिले दिलवाकर इस बात का भरोसा जताया है कि सरकारी विद्यालय भी बेहतरीन शिक्षा प्रदान करते हैं।