दिनेश कुंडलस/शिमला
लोकसभा चुनाव को लेकर मंडी संसदीय क्षेत्र में रोचक राजनीति चल रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सीधे-सीधे अपने मंत्री अनिल शर्मा को पार्टी प्रचार को लेकर धमकी दे रहे हैं। लेकिन मंत्री अनिल शर्मा के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। वह बार-बार कह रहे हैं कि चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। अब सवाल उठता है कि भाजपा क्यों अनिल शर्मा को बाहर का रास्ता नहीं दिखा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक भाजपा को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चुनाव की बेला में अगर अनिल शर्मा को बाहर का रास्ता दिखा कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है तो उस सूरत में पार्टी को मंडी जनपद में नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री को खुद बार-बार अनिल शर्मा के मसले पर मीडिया को प्रतिक्रिया देनी पड़ रही है। सीएम जहां भी जा रहे हैं वहीं अनिल शर्मा को लेकर सवाल पूछा जा रहा है। मंत्री अनिल शर्मा बखूबी अपना किरदार निभा रहे हैं। एक तरफ भाजपा तो दूसरी तरफ कांग्रेस के बीच संतुलित होकर चलने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन भाजपा साहस जुटाने में बैकफुट पर है। मंडी संसदीय क्षेत्र सीएम का अपना गृह क्षेत्र है। लिहाजा चुनाव में प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। उल्लेखनीय है कि सीएम ने कहा था कि दिल्ली जाकर पार्टी आलाकमान से विचार-विमर्श के बाद कोई फैसला लिया जाएगा।
सीएम दिल्ली से लौट भी आए हैं, मगर अनिल शर्मा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। प्रदेश की राजनीति में ऐसा दिलचस्प नजारा भी कम ही देखने को मिला होगा जब पिता बीजेपी सरकार का मंत्री है तो बेटा अपने दादा पंडित सुखराम की बैसाखियों के सहारे कांग्रेस का टिकट झटक लाए है। यही नहीं भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा के लिए भाजपा को सोशल मीडिया में अनिल शर्मा की तस्वीर लगाकर सहयोग की अपील करनी पड़ रही है। कुल मिलाकर देखना यह है कि शर्मा को लेकर भाजपा आने वाले दिनों में क्या स्टैंड लेती है?