दिनेश कुंडलस/शिमला
राजनीतिक रूप से प्रदेश में सबसे जागरूक मतदाताओं वाली हमीरपुर संसदीय सीट भाजपा का गढ़ है। भाजपा के इस अभेद दुर्ग में 1996 में जरूर एक बार कांग्रेस जीतने में सफल हुई थी। उसके बाद से भाजपा ने इस सीट पर कभी हार का मुंह नहीं देखा है। भाजपा के युवा सांसद अनुराग ठाकुर 2008 से लगातार इस सीट पर जीतते आ रहे हैं। जीत की हैट्रिक लगा चुके अनुराग इस दफा जीत का चौका लगाने के लिए मैदान में डटे हैं।
इस सीट का रोचक तथ्य यह है कि यह क्षेत्र पांच जिलों हमीरपुर, ऊना, कांगड़ा, मंडी व बिलासपुर की 17 विधानसभाओं से मिलकर बना है। भौगोलिक रूप से पंजाब के साथ लगते ऊना के सभी विधानसभा क्षेत्र, हमीरपुर व बिलासपुर पूर्ण रूप से इसमें शामिल हैं। वहीं कांगड़ा के दो व मंडी का एक विधानसभा क्षेत्र धर्मपुर संसदीय सीट में शामिल हैं।
पिछले चुनाव में भाजपा के अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस के राजेंद्र राणा को कड़े संघर्ष में 98 हज़ार के करीब वोटों से हराया था। भाजपा के अनुराग को 4 लाख 48 हज़ार 35 मत प्राप्त हुए थे। वहीं कांग्रेस के राजेंद्र राणा ने 3 लाख 49 हज़ार 632 मत हासिल किये थे। भाजपा को 53.61 प्रतिशत व कांग्रेस को 41.83 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा ने देहरा, जसवां-परागपुर, हमीरपुर, नादौन, चिंतपूर्णी, झंडूता, घुमारवीं, बिलासपुर, धर्मपुर व कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्रों से लीड ली थी। वहीं सुजानपुर, भोरंज, बड़सर, गगरेट, हरोली, ऊना व नैना देवी में कांग्रेस ने बढ़त हासिल की थी। इस बार के चुनाव में परिस्थितियां बदली हुई हैं। सैनिक बाहुल्य इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की आपसी फूट टिकट के मामले में बढ़ती जा रही है।
वहीं भाजपा के उम्मीदवार अनुराग ठाकुर प्रचार में पिछले एक माह से डटे हैं। अनुराग पहली पंक्ति के नेताओं में से हैं जिनका टिकट सबसे पहले फाइनल हो गया था। वहीं कांग्रेस अभी तक उम्मीदवारी पर माथापच्चीमें फंसी हैं। अंदरूनी सूत्रों से पता चला है कि अभिषेक राणा की पैरवी करने के बावजूद प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज वीरभद्र सिंह फ़िलहाल उन्हें टिकट नहीं दिलवा पा रहे हैं। अब सुखविंद्र सिंह सुक्खू पर पार्टी विचार कर रही है। इस हलके में बीजेपी के कई ताकतवर मंत्री हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस की टिकट की स्थिति साफ़ होने के बाद ही पता चल पाएगा कि जंग कितनी रोचक व घमासान होगी।