एमबीएम न्यूज/देहरादून
मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल। 19 फरवरी 1985 को देहरादून में जन्में विभूति साहस एवं दृढ़ता की मूरत थे। 18 को शहादत मिली। देहरादून के रहने वाले मेजर विभूति शंकर ने अदम्य साहस का परिचय दिया। देहरादून शहर को लगातार दूसरे दिन आर्मी ऑफिसर की शहादत से भारी क्षति हुई है। मेजर विभूति व मेजर चित्रेश एक ही स्कूल में पढें। मां सरोज को दिल की बीमारी है। मां को शाम तक भी विभूति की शहादत के बारे में नहीं बताया गया। देर शाम जब तिरंगे में लिपटे ताबूत में मेजर विभूति अपने घर पहुंचे तो पूरे देहरादून में कोहराम मच गया। शहीद तीन बहनों के इकलौते भाई थे व सबसे छोटे थे। पिता की पहले ही मौत हो चुकी है। उनकी दादी अभी जीवित हैं।
पत्नी निकिता कौल दिल्ली में कार्यरत हैं। शादी को अभी मात्र 10 महीने ही हुए थे। बीते वर्ष 19 अप्रैल 2018 में मेजर व निकिता परिणय सूत्र में बंधे थे। निकिता फरीदाबाद की रहने वाली है। मेजर विभूति व निकिता की लव मैरिज हुई थी। निकिता कश्मीर के विस्थापित परिवार से ताल्लुक रखती है। पहले परिवार का विस्थापन व फिर पति की शहादत से कश्मीर ने निकिता को दोहरे जख्म दे दिए हैं। निकिता वीक एंड पर अपने ससुराल आती थी। सोमवार को भी निकिता देहरादून से ट्रेन द्वारा वापस दिल्ली जा रही थी। मुज्जफरनगर के पास आर्मी हैड क्वार्टर से उन्हें पति की शहादत का समाचार मिला।
एक बहन देहरादून के प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ाती है। स्कूल के कर्मचारी ने उन्हें सूचना दी। जब घर पहुंची तो लोगों का हजूम था। जिस दिन ये खबर लिखी जा रही है, उस दिन मेजर यानि मंगलवार 19 फरवरी को मेजर विभूति का जन्मदिन है। अगर आज जीवित होते तो अपना 35वां जन्मदिन मनाते। घर में जन्मदिन की खुशियों की जगह शहादत का मातम पसरा है। 17 सितंबर 2011 को कमीषन पास कर विभूति भारतीय सेना का हिस्सा बने थे। अपनी स्कूली पढ़ाई सैंट जोसेफ स्कूल देहरादून से की। डीएवी कॉलेज देहरादून से बीएससी की।
मूल रूप से पौडी गढ़वाल के गांव ढौंड के रहने वाले विभूति के दादा 1952 में देहरादून आकर बस गए थे। पिता व दादा दोनों एयरफोर्स में रहे। बचपन से ही विभूति आर्मी में जाना चाहते थे। सोमवार रात्रि अंबर भी विभूति की शहादत पर जमकर बरसा।