एमबीएम न्यूज़/शिमला
बहुचर्चित युग अपहरण व हत्याकांड मामले में तीन दोषियों को बुधवार को सजा सुनाई जा सकती है। 6 अगस्त को जिला व सत्र अदालत तीन युवकों तेजेंद्र, चंद्र और विक्रांत को हत्या, अपहरण, बंधक बनाने, साक्ष्य मिटाने और हत्या का षडयंत्र रचने का दोषी ठहरा चका है। पिछली दो सुनवाइयों में अदालत ने आरोपियों के माता-पिता के बयान दर्ज किए थे। जज के समक्ष परिजनों ने अपनी बीमारी का हवाला देते हुए आरोपियों को कम से कम सजा देने की गुहार लगाई थी।
कल आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया जाएगा। इस जघन्य हत्याकांड ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया था। आरोपियों ने जिस बर्बरता से चार साल के मासूम यूग को अगवा कर मौत के घाट उतारा, उससे लोग सन्न रह गए थे और आरोपियों को फांसी की सजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति विरेंद्र सिंह इस मामले में 800 पन्नों की जजमेंट दे चुके हैं। ऐसे में सभी की नजरें अदालत के सजा के एलान पर टिकी है। इस मामले में अदालत में डेढ साल तक ट्रायल चला, इस दौरान 105 गवा पेश हुए।
अदालत द्वारा आरोपियों को दोषी ठहराने के फैसले के बाद युग के पिता विनोद कुमार और माता पिंकी ने कहा था कि वो अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं और चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी सजा मिले। इन्होंने मासूम युग की बेदर्दी से हत्या की थी और तीनों को फांसी से कम सजा न दी जाए।
आपको बता दें कि 14 जून 2014 को चार साल के युग का उक्त अपराधियों ने अपहरण कर लिया था। जांच एजेंसी सीआईडी ने दो साल बाद अगस्त 2016 में मामले का पटाक्षेप करते हुए तीनों आरोपियों तेजेंद्र, चंद्र और विक्रांत को गिरफतार किया। चंद्र और तेजेंद्र तो युग के पड़ोसी ही निकले। युग रामबाजार के कारोबारी विनोद कुमार का बेटा था। जांच में खुलासा हुआ कि बदमाशों ने युग का अपहरण फिरौती के लिए किया था, लेकिन पकड़े जाने के डर से युग को मौत के घाट उतार दिया और उसका शव शहर के भराडी क्षेत्र में नगर निगम के पेयजल टैंक में डाल दिया।
आरोपियों को ले जाकर सीआईडी ने टैंक से युग का कंकाल बरामद किया, तो पूरा शहर सन्न रह गया। शहर की जनता ने सड़कों पर उतरकर आरोपियों के लिए फांसी की सजा की मांग की।