एमबीएम न्यूज/कुल्लू
पुलिस की नशे के कारोबार के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक आक्रामक रुख अख्तियार कर चुकी है। एसपी शालिनी अग्रिहोत्री के ‘स्ट्रीट डॉमिनेंस’ अभियान के तहत कामयाबी मिल रही है। ताजा मामले में पुलिस ने घाटी में नशीले पदार्थों खासकर हेरोइन के सप्लायर चाल्र्स डेविड को गिरफ्तार किया है। पकड़ा गया तस्कर पुलिस टीम के साथ
नाईजीरियन मूल के आरोपी के कब्जे से 15 ग्राम हेरोइन के अलावा नशीला पदार्थ (Methamphatamine) भी 0.2 ग्राम की मात्रा में बरामद हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल होने वाले इस पदार्थ को घाटी में पहली बार बरामद किया गया है। दरअसल पुलिस ने एनडीपीएस के कुछ मुकदमे दर्ज किए हुए थे, जिनमें नाईजीरियन मूल के चाल्र्स डेविड के साथ आरोपियों के तार जुड़ते नजर आए।
पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली से हेरोइन के कारोबार को अंजाम दे रहे नाईजीरियन को राउंड अप कर कुल्लू तक पहुंचा दिया है। स्थानीय स्तर पर शिनाख्त होने के बाद उसकी गिरफ्तारी कर दी गई। एसपी के मुताबिक नाईजीरियन मूल का आरोपी कुल्लू समेत प्रदेश के कई हिस्सों में हेरोइन की सप्लाई कर रहा था। गत वर्ष भी पुलिस ने नाईजीरियन को 70 हजार की नकदी के साथ पकड़ा था।
पुलिस के मुताबिक मार्क व जॉन के नाम से नाईजीरियन घाटी में कारोबार कर रहा था। बताया गया कि गिरफ्तार चाल्र्ड डेविड चंडीगढ़ पुलिस को भी वांछित है। लिहाजा खाकी चंडीगढ़ पुलिस के संपर्क में भी है। उल्लेखनीय है कि सहभागिताा प्रोजैक्ट के तहत लोगों से ही गली-मोहल्ले में चल रहे नशे के कारोबार की जानकारी जुटाकर पुलिस कार्रवाई कर रही है।
इस महीने कुल्लू में एनडीपीएस के 20 मामले दर्ज हो चुके हैं। नाईजीरियन मूल के आरोपी की 25वीं गिरफ्तारी है। पिछले 15 दिन में हेरोइन के ही 10 मामले पकड़े गए हैं।
क्या खुलासा…
हालांकि नाईजीरियन मूल के आरोपी से पूछताछ चल रही है, लेकिन शुरूआती पूछताछ में उसने कहा है कि 32 ग्राम हेरोइन को 30 युवाओं को एक सप्ताह तक सप्लाई करने का लक्ष्य होता है। इसमें इस्तेमाल करने वालों से पहले ही संपर्क बना हुआ है। यानि औसतन एक युवक एक दिन में एक ग्राम हेरोइन का ही इस्तेमाल करता है। इतनी कम मात्रा में नशीले पदार्थ को पकडऩा पुलिस के साथ-साथ माता-पिता के लिए भी आसान नहीं होता। इसके अलावा बरामद किए गए सिंथेटिक ड्रग को मामूली सी मात्रा में पानी में डालकर भी पिया जाता है। साथ ही इंजैक्ट भी हो सकता है।
एसपी शालिनी अग्रिहोत्री का कहना है कि अगर वास्तव में समाज युवाओं को नशे से बचाना चाहता है तो पुलिस की मदद के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि बरामद किए गए सिंथेेटिक ड्रग को स्थानीय भाषा में क्रैंक भी कहा जाता है।