एमबीएम न्यूज/नाहन
4 मई 2014 को मौजूदा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, देश में बीजेपी के सुप्रीमो थे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते चौगान मैदान में राजनाथ सिंह ने जब एनडीए की सरकार बनने की सूरत में ट्रांसगिरि को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने की बात कही तो पंडाल में खुशी की लहर थी। लेकिन चार साल तीन महीने का वक्त अब बीत चुका है। दशकों पुरानी इस मांग पर केंद्र सरकार के ढाक के तीन पात ही रहे।
उस वक्त द ट्रिब्यून में छपी खबर के मुताबिक राजनाथ सिंह ने कहा था कि सांसद वीरेंद्र कश्यप इस मांग को लगातार उठाते रहे हैं। लिहाजा केंद्र में सरकार बनते ही इसे प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसा भी नहीं कि इस वादे को लेकर हाटी समुदाय ने कोशिश न की हो। दिसंबर 2016 में हाटी प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा ट्राइबल विकास मंत्री जुएल ओराम से भी मुलाकात की थी।
प्रधानमंत्री से मिलने के बाद भी हाटी समुदाय को यह महसूस होने लगा था कि जल्द ही सरकार कोई ठोस कदम उठा लेगी, लेकिन निराशा ही हाथ लगी है। कुछ समय पहलेे रेणुका विधानसभा क्षेत्र में संगड़ाह व हरिपुरधार में केंद्रीय ट्राइबल विकास मंत्री जुएल आरोम भी आश्वासन देकर वापस लौट गए। सिरमौर की 50 फीसदी आबादी ट्रासगिरि क्षेत्र में रहती है। केवल नाहन विधानसभा क्षेत्र ही है, जिसका हिस्सा ट्रांसगिरि में नहीं आता है।
प्रधानमंत्री से मिलने पहुंच ट्रांसगिरि के लोग (FIle Photo)
पच्छाद की राजगढ़ तहसील, रेणुका विधानसभा क्षेत्र का 85 फीसदी हिस्सा व शिलाई हलका सौ फीसदी ट्रांसगिरि का हिस्सा है। इसके अलावा पांवटा विधानसभा क्षेत्र का भी काफी हिस्सा ट्रांसगिरि में आता है। दरअसल शिमला जिला के खड़ा पत्थर के समीप चंबी कुप्पड़ से निकलने वाली गिरि नदी सिरमौर को दो हिस्सों में बांटती है, जिसे गिरि आर व गिरि पार कहा जाता है।
कुल मिलाकर अहम बात यह है कि अगर बीजेपी दोबारा शिमला संसदीय क्षेत्र से वीरेंद्र कश्यप पर दांव खेलती है तो वो 4 मई 2014 के वादे पर क्या जवाब देगी। उल्लेखनीय है कि ट्रांसगिरि क्षेत्र में आबादी अढ़ाई से तीन लाख के बीच है।