एमबीएम न्यूज/हरिपुरधार
जहां पूरे प्रदेश में पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि मची है, वहीं जिला सिरमौर के दूरदराज गांव चाडऩा में लोगों को हमेशा के लिए पेयजल संकट से निजात मिली है। हुआ यूं कि जब गांव में पानी की किल्लत बढऩे लगी व पेयजल स्त्रोत सूखने लगे तो लोगों ने श्रमदान कर कुएं की खुदाई शुरू कर दी। इसी दौरान खुदाई में करीब 300 वर्ष पुरानी दो बावडिय़ां मिली, जो भूमिगत जल से लबालब भरी हुई थी।
बावडिय़ों को देख ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई। खुशी का आलम इस कद्र था कि पूरे गांव में लडडू बांट कर जश्न मनाया गया। दरअसल पिछले लंबे समय से नौहरा तहसील के चाडऩा में लोग पेयजल के गंभीर संकट से जूझ रहे थे। इस मूलभूत समस्या से कैसे निपटा जाए, हल न सूझता देख गांव में आपातकालीन बैठक बुलाई गई।
इसी दौरान गांव के बुजुर्गों ने बताया कि समीप ही सैंकड़ों साल पुरानी बावडिय़ां दबी हुई हैं। अगर उसी स्थान पर खुदाई की जाए तो संभवत: बावडिय़ों को नया जीवन मिल सकता है और गांव की पेयजल समस्या का समाधान भी होगा। बुजुर्गों के अनुसार 70 के दशक में गांव के लिए सडक़ निर्माण के दौरान ये बावडिय़ां दब गई थी। बड़े-बुजुर्गों के बताए स्थान पर गांव के युवा खुदाई करने को राजी हो गए।
बुजुर्गों द्वारा बताए गए स्थानों पर खुदाई करने के पहले ही दिन बावडिय़ों के निशान मिलने शुरू हो गए। इससे हौंसले बुलंद हुए तो खुदाई का कार्य और तेज कर दिया गया। लगभग तीन दिन के बाद ग्रामीणों को दबी हुई बावडिय़ां मिल गई जो भरपूर जल से भरी हुई थी। इसके बाद ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
उधर पंचायत प्रधान भीमराज, ग्रामीणों रविंद्र नेगी, इन्दर सिंह व अजय कुमार आदि के अनुसार दो बावडिय़ों के मिलने से गांव को पेयजल संकट से निजात मिलेगी। एक अनुमान के अनुसार दोनों बावडिय़ों से करीब चार हजार लीटर पेयजल उपलब्ध होगा। इससे ग्रामीणों को पेयजल संकट से निजात मिल जाएगी।