एमबीएम न्यूज / सोलन
होनहार बेटे वासु डोगर ने 25 साल की उम्र में माता-पिता के सपनों को साकार कर दिखाया है। साथ ही शहर को भी गौरवान्वित किया है। हो भी क्यों न, बेटे ने भारतीय वन सेवा (आईएफएस) की परीक्षा में देश भर में 40वां रैंक जो हासिल किया है। वासु के बैच में देश भर से 110 आईएफएस अधिकारी बने हैं।
25 साल के वासु की सफलता यही नहीं है, बल्कि सिविल सर्विसिज की परीक्षा के अंतिम नतीजे का भी बेसब्री से इंतजार है। मेहनत रंग लाई तो इसी महीने के अंत तक वासु को सिविल सर्विसिज में नया मुकाम हासिल हो सकता है। सफलता भी कमाल की है। होनहार बेटे ने न तो कोई कोचिंग ली, बल्कि जॉब के साथ-साथ परीक्षा की चुनौती को पार कर दिखाया। वाराणसी में आईआईटी से इलैक्ट्रिॉनिक्स में बी टेक करने वाले वासु डोगर चाहते तो कॉर्पोरेट वर्ल्ड में जाकर अच्छी-खासी कमाई भी कर सकते थे, लेकिन इसे तवज्जो न देकर उस कैरियर को चुना, जहां समाज के लिए भी कुछ करने का मौका मिल सके।
वासु के पिता शिवेंद्र डोगर आईटीआई के प्रिंसीपल हैं तो मां अर्चना डोगर एक शिक्षिका हैं। छोटी बहन साची डोगर भी होनहार है, वो एनआईटी हमीरपुर में बी टेक कर रही है। सनद रहे कि भारतीय वन सेवा की परीक्षा में देश भर से लगभग चार लाख युवाओं ने हिस्सा लिया था। इसमें 1300 शॉर्टलिस्ट हुए। फाइनल साक्षात्कार के लिए 301 को कॉल लैटर मिले थे। सैंट ल्यूक्स स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने वाले वासु डोगर से एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने सफलता के मूल मंत्र पूछे, तो उसके जवाब इस तरह से थे :
– कोचिंग की जरूरत नहीं है। ऑनलाइन सामग्री काफी मिल जाती है।
– इनसाइटस ऑन इंडिया व आईएएस बावा ऐसी वैबसाइटस हैं, जिनकी सामग्री उपयोगी साबित हुई।
– वैकल्पिक विषय गणित में टैक्स्ट सीरीज में मामूली कोचिंग की आवश्यकता महसूस हुई थी।
– निश्चित तौर पर सोशल मीडिया से कटना पड़ा था। इसमें फेसबुक, व्हाटस एप व टिवटर इत्यादि का इस्तेमाल नहीं किया।
– लक्ष्य निर्धारित करना बेहद लाजमी है। औसतन चार से पांच घंटे की एकाग्रता से पढ़ाई संतोषजनक रहती है।