पावंटा साहिब (एमबीएम न्यूज़ ): दोनों टाँगे लकवा ग्रस्त होने के बावजूद एक भारतीय के लिए मिस्टर वर्ल्ड व्हील चेयर का खिताब जितना असम्भब सा प्रतीत होता है। लेकिन पंजाब के लुधियाना के युवा दिव्यांग बॉडीबिल्डर ने यह सम्भब कर दिखाया है। पावटा साहिब में सम्पन्न हुई नॉर्थ इंडिया बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में व्हील चेयर मिस्टर वर्ल्ड आनन्द आर्नोल्ड ने शिरकत की। आनन्द आर्नोल्ड भारत के एक मात्र व्हील चेयर बॉडी बिल्डर है जिन्होंने इस श्रेणी में मिस्टर वर्ल्ड का खिताब जीत है।
दरअसल 15 साल की आयु में कैंसर के कारण आनन्द की दोनों टाँगे लकवा ग्रस्त हो गई थी। लेकिन जीवन मे कुछ अलग करने की ख्वाहिश ने आनन्द को बॉडी बिल्डिंग की ओर लाया। दोनों टाँगे लकवा ग्रस्त होने के बावजूद आनन्द ने अथक मेहनत और लगन के दम पर मिस्टर वर्ल्ड व्हील चेयर का खिताब जीता। इस बेहद कठिन और असम्भब से दिखने वाले सफर को आनन्द आर्नोल्ड ने कैसे तय किया इस बारे में आनन्द ने जी मीडिया के साथ अनुभब सांझा किये।
शरीर का आधा हिस्सा बेकार उस पर संसाधनों व सुविधाओं की कमी, ऐसे में मिस्टर वर्ल्ड का खिताब जीतना स्वप्न सरीखा नजर आता है। लेकिन प्रकृति के इस अचूक को जीवन की शक्ति में परिवर्तित कर सफलता के क्षितिज पर टिमटिमाने का जो हुनर आनंद आर्नोल्ड के पास है, उसे संसार में विरले ही सीख पाए हैं। दोनों टांगे लकवाग्रस्त होने के बावजूद आनंद आनंद का जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया वह आगे बढ़ने की सोच आज समूचे भारतवर्ष में अनोखा उदाहरण बन गई है।
लुधियाना शहर के एक आम परिवार में जन्मे आनंद को जन्म से रीड की हड्डी में कैंसर था आनंद का बचपन कैंसर से लड़ने में व्यतीत हो रहा था लेकिन 15 वर्ष की आयु में आनंद के जीवन में बेहद बड़ा बदलाव आया। डॉक्टरों ने आनंद का जीवन बचाने के लिए कैंसर का ऑपरेशन करने की सलाह दी। डॉक्टरों की सलाह पर परिवार ने ऑपरेशन भी करवाया इस ऑपरेशन से आनंद कैंसर से जिंदगी की जंग तो जीत गए लेकिन उसकी दोनों टांगे लकवाग्रस्त हो गई।
किसी तरह मजबूत इच्छा शक्ति के दम पर इस सदमे से उभरे आनंद लें जीवन में कुछ अलग कर दिखाने की इच्छा को दबने नहीं दिया और व्हीलचेयर बॉडी बिल्डिंग शुरू कर दी। लगन और अथक मेहनत के दम पर बेहद कम समय में दिव्यांगों के लिए असंभव से समझे जाने वाले इस खेल में आनंद ने मिस्टर वर्ल्ड का खिताब जीतकर सबसे बड़ी ऊंचाई को छुआ। क्षितिज पर पहुंचने के इस सफ़र को आनंद नहीं कितनी कठिनाइयों को सहन करके पूरा किया इस संबंध में उन्होंने जी मीडिया के साथ अपने अनुभव साझा किए।
कठिनाइयां आनंद के जीवन का पर्याय बन चुकी थी लेकिन आनंद ने कठिनाइयों के सामने घुटने टेकने की वजह तमाम कठिनाइयों से पार पाने को अपने दिनचर्या का अंग बनाया। आनंद की यही खूबियां आज आनंद के लिए वरदान साबित हो रही हैं। एक फिल्म सहित कई विज्ञापनों के अलावा आनंद के राष्ट्रीय स्तर के टेलीविजन शो का हिस्सा बन चुके हैं। इसके अलावा बॉडी बिल्डिंग में आनंद लें 6 बार व्हीलचेयर मिस्टर इंडिया 12 बार मिस्टर पंजाब एक बार मिस्टर वर्ल्ड का खिताब अपने नाम किया है। अब आनन्द का सपना व्हील चेयर मिस्टर ओलमपिया का खिताब जीत कर देश का नाम रोशन करने है।
आनंद को भारत का आर्नोल्ड ऐसे ही नहीं कहते आनंद के शरीर को जो दिखता है वह दंग रह जाता है। हर कोई यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर व्हीलचेयर पर बैठकर कोई व्यक्ति है ऐसा शरीर कैसे बना सकता है। लेकिन आनंद ने मजबूत इच्छाशक्ति, अथक मेहनत और सकारात्मक सोच के दम पर मिस्टर वर्ल्ड का खिताब जीतने का गौरव हासिल किया है। आनन्द आज देशभर में युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए है।
आनंद का कहना है कि जीवन में बुरी आदतों से दूर रहना लगातार अपनी मंजिल के पथ पर आगे बढ़ते रहने का जज्बा और सकारात्मक सोच हो तो आपको बाधा नहीं रोक सकती।