नाहन (एमबीएम न्यूज): 18 दिसंबर को चुनावी नतीजे आए तो भाजपा को प्रचंड बहुमत मिल गया। साथ ही नाहन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी डॉ. राजीव बिंदल ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर ली। चंद मिनटों में यह चर्चा होने लगी कि चलो जी, दशकों बाद नटनी के श्राप से शहर मुक्त हो गया है। लेकिन असल में चुनावी नतीजे के बाद नटनी का श्राप खत्म नहीं हुआ था। हालांकि धूमल चुनाव हार गए थे, लेकिन बावजूद इसके नटनी के श्राप का साया पड़ा हुआ था, क्योंकि अगर धूमल जीतते तो बतौर मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का विधायक डॉ. राजीव बिंदल से 36 का आंकड़ा रहता।
धूमल के सीएम बनने की सूरत में ठीक उसी इतिहास की पुनरावृति हो सकती थी, जो 1993 में हुआ था। उस समय कांगे्रस के टिकट पर कुश परमार विजयी हुए थे। प्रदेश में कांग्रेस की ही सरकार वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में बनी थी। स्थानीय विधायक कुश परमार ने मुख्यमंत्री के पद को लेकर पंडित सुखराम पर दांव खेल दिया था। लेकिन वीरभद्र सिंह को सीएम की हॉट सीट मिल गई। इसके बाद वीरभद्र सिंह व कुश परमार के संबंधों में खटास पैदा हुई।
हालांकि 2003 में वीरभद्र सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान कुश परमार को कैबिनेट स्तर का मंत्री बनाने की घोषणा की थी, लेकिन परमार को विधानसभा चुनाव में सदानंद चौहान ने शिकस्त दे दी। नटनी का श्राप इस कारण भी टूटेगा, क्योंकि पहली बार पावरफुल मंत्री इस हलके को मिलेगा। पहले 28 जून 1977 से 18 मई 1979 तक श्यामा शर्मा राज्य मंत्री ही रही।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि लंबे अरसे से धूमल व बिंदल के बीच तनातनी चली हुई थी। यही कारण था कि पूर्व सीएम यहां प्रचार में भी नहीं आए। लेकिन अब 52 वर्षीय जयराम ठाकुर को सिंहासन मिला है । लिहाजा पूरी उम्मीद है कि जयराम ठाकुर व बिंदल के बीच मधुर संबंध हैं। इससे हलके के विकास को नए आयाम मिल सकते हैं। साथ ही डॉ. राजीव बिंदल को एक सशक्त मंत्री पद से भी नवाजा जा सकता है।
रविवार को भी अगर शिमला में पीटरहॉफ की तस्वीरों पर गौर किया जाए तो बिंदल केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के साथ प्रवेश हुए। पूर्व सीएम धूमल के साथ बिंदल नहीं थे। लिहाजा अब नजरें इस बात पर भी टिकी हैं कि भाजपा अपने शीर्ष नेता डॉ. राजीव बिंदल को मंत्रिमंडल में किस विभाग की जिम्मेदारी सौंपती है।