मंडी (वी कुमार) : जिला इन दिनों फिर से सीएम पद को लेकर आस लगाए बैठा है। यह जिला 3 बार सीएम पद की दावेदारी में शामिल तो हुआ, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। तीन बार कांग्रेस से ही इस पद की दावेदारी जताई गई जबकि पहली बार भाजपा में भी मंडी जिला ने सीएम पद को लेकर दावेदारी पेश की है। इस बार भी निराशा हाथ लग रही है।
क्या है मंडी जिला से सीएम पद की दावेदारियों का इतिहास:
हिमाचल प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े जिला मंडी में दस विधानसभा क्षेत्र आते हैं। प्रदेश में सरकारें बनाने में इस जिला का अहम योगदान रहता है। यही कारण है कि इस जिले को राजनैतिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इस राजनैतिक राजधानी को कभी सीएम का पद नहीं मिल सका। लेकिन अब एक बार फिर से इस जिला को सीएम पद की आस बंधी है। चर्चा में सराज से भाजपा के विधायक जय राम ठाकुर का नाम है। जय राम ठाकुर से लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं कि वह सीएम बनेंगे और मंडी जिला को प्रदेश भर में एक नई पहचान मिलेगी।
1967 में कांग्रेसी नेता कर्म सिंह ठाकुर मुख्यमंत्री पद के बिल्कुल करीब थे, लेकिन अंत समय में उन्हें मैदान छोडना पड़ा। उनके स्थान पर सिरमौर से डा. वाईएस परमार को मुख्यमंत्री बनाया गया। यदि उस समय कर्म सिंह मुख्यमंत्री बन गए होते तो आज मंडी की राजनीति किसी नए शिखर पर होती। इसके बाद बारी आई राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले सुखराम की। वर्ष 1993 में सुखराम मंडी के सपने के काफी करीब पहुंचे गए थे, लेकिन अंत में उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी और शिमला जिला से वीरभद्र सिंह बाजी मार गए। इसके बाद 2012 में बारी आई कौल सिंह ठाकुर की। लेकिन सीएम बनने से पहले ही इन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से हटा दिया गया और उनका सपना भी चकनाचूर हो गया। इस बार भी वीरभद्र सिंह को ही सीएम का पद मिला।
तीन बार मंडी जिला के लोगों ने कांग्रेसी नेताओं के सहारे ही उस सपने को देखा जो पूरा नहीं हो सका। पहली बार यह सपना किसी भाजपा नेता के सुर्खियों में आने पर देखा जा रहा है। लेकिन इसमें बड़ी बात यह भी रही कि सीएम पद को लेकर मंडी जिला के जिन कांग्रेसी नेताओं ने दावेदारी जताई उन्हें अपनों का ही साथ नहीं मिला। जब भी सीएम पद को लेकर जिला से कोई नेता उभरा तो अपनों ने ही उसे नीचे गिराने की पूरी कोशिश की। कुछ हद तक इस बार भी ऐसा नजर आ रहा है। ये कारण भी रहा कि प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला अपनी इस दावेदारी पर कभी खरा नहीं उतर सका। राजनीति के जानकारों का मानना है कि जब तक पूरा जिला सीएम के पद को लेकर एकजुट नहीं होगा इस पद को हासिल कर पाना मुश्किल ही रहेगा।
प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज होने जा रही भाजपा के पास सीएम पद के और भी दावेदार हैं लेकिन मौजूदा हालातों से मंडी जिला की दावेदारी सबसे प्रवल नजर आ रही है। अब फैसला भाजपा हाईकमान पर ही है कि मंडी जिला के लोगों की दशकों से चली आ रही यह आस पूरी होगी या फिर से उन्हें निराश होना पड़ेगा।