मंडी ( वी कुमार ) : 18 दिसंबर की तारीख नजदीक आ रही है और इस तारीख को राजनीति के कई धुरंधरों के भविष्य की रूपरेखा तय होने वाली है। ऐसे ही एक धुरंधर नेता जिला से भी हैं और 18 दिसंबर को आने वाले परिणाम इनके लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हैं। बात हो रही है राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम की।
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले सुखराम और उनके परिवार के लिए विधानसभा का चुनाव काफी मायने रखता है। भाजपा ने सुखराम के परिवार को इसी उम्मीद के साथ भाजपा में शामिल किया था कि भाजपा को इसका लाभ मिलेगा। जिला में सुखराम का काफी जनाधार है और यहां से भाजपा को सुखराम के आने के बाद अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है। अधिकतर सर्वे जिला की 10 सीटों में से 6 से 8 सीटें भाजपा को दे रहे हैं। यदि भाजपा 6 से अधिक सीटों पर कब्जा जमा लेती है तो इससे सुखराम और उनके परिवार का कद भाजपा में बढ़ जाएगा।
जाहिर सी बात है कि भाजपा सरकार बनने पर अनिल शर्मा को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलना भी तय हो जाएगी। लेकिन यदि भाजपा यहां कम सीटों पर जीत दर्ज करती है तो फिर सुखराम और भाजपा दोनों को आत्ममंथन करना पड़ेगा। राजनीति जानकार भी मानते हैं कि जिला में सुखराम का अपना एक अलग जनाधार है और इसका कहीं न कहीं भाजपा को लाभ मिलना भी तय है। जानकारों की मानें तो परिणाम सुखराम और उनके परिवार की भविष्य की राजनीति को तय करने वाले होंगे।
बता दें कि सुखराम ने 1998 में जब अपना राजनैतिक दल बनाया था तो उस वक्त भी भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी। पांच वर्षों तक यह सरकार चली भी और सुखराम के भाजपा के साथ संबंध भी मजबूत हुए थे। लेकिन इस बार सुखराम विशुद्ध रूप से भाजपा में शामिल हो गए हैं और ऐसे में यह परिणाम उनके परिवार के राजनैतिक भविष्य की दशा और दिशा तय करने वाले हैं।