शिमला(एमबीएम न्यूज़): हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनावी नतीजों पर राज्य की आम जनता से लेकर कर्मचारी तक नजरें गढ़ाए बैठे हैं। प्रशासन को चलाने वाली नौकरशाही भी चुनाव परिणामों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। अधिकारियों की टकटकी इस बात पर लगी है कि कौन सा दल सूबे में सरकार बनाएगा। चुंकि चुनाव नतीजे के लिए इस बार एक महीने से ज्यादा का इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि 18 दिसम्बर को परिणाम निकलना है। लिहाजा नौकरशाह के केंद्र शिमला स्थित राज्य सचिवालय में इन दिनों चुनाव परिणाम को लेकर अटकलबाजी का दौर चल रहा है।
यह उत्सुकता केवल इसलिए नहीं कि जनता ने किस पर विश्वास जताया है बल्कि इसके पीछे एक स्वार्थ छिपा है। विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद मनपसंद सरकार आने का मतलब अच्छा ओहदा और अच्छा विभाग। यही कारण है कि नतीजों का इंतजार आम जनता के साथ अधिकारी भी बड़ी ही बेसब्री से कर रहे हैं। प्रदेश की राजनीति में नेताओं और नौकरशाहों के बीच गठजोड़ के आरोप लगते रहे हैं। यह बात सच इसलिए भी लगती है कि प्रदेश में जब भी नई सरकार आती है तब शासन व प्रशासन में बड़े पैमाने पर फेरबदल किया जाता है। जिलों से लेकर शासन तक अधिकारियों को बदल दिया जाता है और अपने पसंद से विभाग दिए जाते हैं।
यह भी देखा गया है कि कई बार काबिल माने जाने वाले अफसरों को पैदल भी किया गया है। शासन और प्रशासन में तैनात कई अधिकारियों पर तो दल विशेष से जुड़े होने तक का टैग लगता रहा है। इनकी कार्यशैली भी कहीं न कहीं इनका दल विशेष की ओर झुकाव प्रदर्शित करती है। चुनाव से एन पहले कुछ सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों पर दल विशेष के लिए काम करने के आरोप भी लगे हैं। अब मतदान हो चुका है और नए सरकार की शपथ ग्रहण की तैयारियों को अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया की तैयारी चल रही है।
इन सबके बीच अधिकारियों की नजरें भी नई सरकार पर टिकी है। शासन व प्रशासन में अधिकारी अपने परिचितों से इस संबंध में खासी दिलचस्पी दिखाते नजर आ रहे हैं। भावी सरकार की संभावना पर चर्चा करते हुए कभी इनके चेहरे खिलते तो कभी मुरझाते हुए देखे जा सकते हैं। राज्य में हर पांच साल बाद सरकारें आती-जाती हैं। नई सरकार के लिए अफसरशाही में पसंद और नापसंद हमेशा से ही महत्व रखता है। यही वजह है कि सत्ता परिवर्तन होने की यहां नौकरशाही का स्वरूप बदल जाता है। मिसाल के तौर पर भाजपा की धूमल सरकार में जिन नौकरशाहों की तूती बोलती थी, सत्ता बदलते ही वे प्रभावहीन पदों पर बिठा दिए गए और उनकी जगह नऐ चेहरों ने ले ली। सचिवालय में ही ऐसे कई आला अफसर हैं, जिनकी भाजपा सरकार में तूतल बोलती थी, मगर कांग्रेस राज में उनका वो प्रभाव नहीं रहा। शायद इसलिए उनमे चुनावी नतीजों को जानने की बेचैनी है।