नाहन (एमबीएम न्यूज): शहर के डिग्री कॉलेज से 1995 में विज्ञान संकाय की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उच्चशिक्षा हासिल करने के बाद जयपुर में मैनेजमेंट की शिक्षा देने लगे। अचानक ही जितेन्द्र राठौर (जीतू) के मन में बचपन का शौक जागा। फिर क्या था, शब्दों को पिरोकर एक पुस्तक टी, ट्रेवल एंड थ्रिल लिख डाली। जीवन का स्वर्णिम समय जितेन्द्र ने नाहन में बिताया था। लिहाजा अपनी पुस्तक में कतई भी शहर की चर्चा करना नहीं भूले।
6 कहानियों के संग्रह में कई जगह पर नाहन का नाम भी आया है। ऑनलाइन भी उपलब्ध पुस्तक की काफी डिमांड रही। साथ ही सोशल मीडिया में भी सुर्खियां मिली। मैनेजमेंट के प्रोफेसर जितेन्द्र के मुताबिक अंग्रेजी में लिखी गई इस पुस्तक के हरेक शीर्षक को सार्थक करने की कोशिश की गई है। अधिकतर कहानियां में चाय, यात्रा व रोमांच का जिक्र किया गया है।
सनद रहे कि बतौर मैनेजमेंट प्रोफेसर जितेन्द्र के कई जर्नल्स नैशनल, इंटरनैशनल मैग्जीन में प्रकाशित हो चुके हैं। कहते हैं, कहीं न कहीं खुद को किस्से व कहानियों से दूर पाकर अधूरा महसूस करते थे। नाहन में बिताए सुनहरी दिनों को अक्सर याद करते थे। लिहाजा एक दिन यह सोचा कि क्यों न हिमाचल की यादों को एक पुस्तक में ढाल लूं।
गौरतलब है कि मैनेजमेंट गुरु जितेन्द्र राठौर के पिता, नाहन अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ रहे, जो बतौर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद से लगभग एक दशक पहले रिटायर हुए।