नाहन (रेणु कश्यप): शहर में रामकुंडी के समीप शमशेरपुर कैंट में माता बाला सुंदरी का मंदिर आकर्षक रूप ले रहा है। यहां, बड़ी बात यह सामने आई है कि इस मंदिर का निर्माण हिन्दू-मुस्लिम परिवारों ने मिलकर करवाया है, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा 27 मार्च 1994 को हुई थी। लेकिन सौहार्द का दुर्लभ उदाहरण पहली बार सामने आया।
यकीन मानिए, मंदिर कमेटी (पीपल वैलफेयर) की कमान भी बुुजुर्ग मुस्लिम याकूब बेग संभाले हुए हैं। महासचिव की जिम्मेदारी दुर्गा सिंह के कंधों पर है। प्रबंधक के पद पर टेक बहादुर को तैनात किया गया है। मंदिर के निर्माण को 23 साल पूरे हो चुके हैं। 27 मार्च को हर साल भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस बार भी भंडारे में चावल का दान सईद बेग कर रहे हैं।
कमेटी के सदस्य शनिवार को जब भंडारे का निमंत्रण लेकर एमबीएम न्यूज नेटवर्क के कार्यालय पहुंचे, तब इस दुर्लभ सौहार्द की बात सामने आई। हाल ही में पाठकों को एक ऐसी स्टोरी से भी अवगत करवाया गया था, जिसमें एक मुस्लिम परिवार का गौवंश के प्रति अटूट प्रेम है। खास बात यह है कि पीपल वैलफेयर कमेटी के माध्यम से इस मंदिर का रखरखाव किया जा रहा है। जिसके अध्यक्ष पद पर तैनात याकूब बेग अपने धर्म की अंजुमन इस्लामिया कमेटी का नेतृत्व भी करते हैं।
विशेष बातचीत के दौरान याकूब बेग ने बताया कि मंदिर का निर्माण लगभग 40 परिवारों ने करवाया है, इसमें से 15 परिवार मुस्लिम हैं। सब मिल-जुलकर इस मंदिर की देखरेख करते हैं, जो धीरे-धीरे भव्य रूप लेता जा रहा है। कुल मिलाकर यह बेहद गजब की बात है कि समाज में इस तरह के सौहार्द की मिसाल भी जीवित है।
क्या है इतिहास..
बताया गया, 1992-93 में शमशेरपुर कैंट में प्राथमिक पाठशाला का भवन बनना शुरू हुआ। लेकिन कोई न कोई बाधा पैदा हो जाती थी। फिर एक महिला को स्वप्र में समीपवर्ती चोटी पर मंदिर बनाने के आदेश माता बालासुंदरी ने स्वयं दिए। इलाके के मुस्लिम व हिन्दू परिवारों ने मिलकर मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद से स्कूल भवन के निर्माण में कोई भी बाधा पैदा नहीं हुई। (लोगों की धारणाओं व आस्था के मुताबिक)