हमीरपुर (एमबीएम न्यूज) : हमीरपुर में एक ऐसा स्कूल है, जहां हिंदू धर्म की मातृ भाषा पर जोर दिया जा रहा है। भले ही लोग पाश्चात्य सभ्यता में डूब कर हिंदू संस्कृति को भूलाकर अंग्रेजी में बातचीत कर रहे हों, लेकिन सीसे स्कूल ककडिय़ार में विद्यार्थी संस्कृत भाषा का उपयोग कर सुबह से लेकर शाम तक मंत्रोच्चारण करते हैं। प्रार्थना सभा में यह मंत्रोच्चारण स्कूल परिसर से गूंजते हैं। स्थानीय लोग भी अब इनका उच्चारण करना सीख चुके हैं।
हमीरपुर के इस अनोखे स्कूल में यह व्यवस्था पिछले चार वर्षों से की गई है। यहां के संस्कृत अध्यापक तिलक राज शर्मा ने इस पर जोर दिया और पूरे स्टाफ ने इसमें अपनी सहभागिता निभाते हुए स्कूल में एक नई मिसाल कायम की है। सुबह प्रार्थना सभा में सभी विद्यार्थी मंत्रोच्चारण में संबंधित दिन से जुड़े देवी देवताओं को याद करते हैं। जैसे सोमवार को भोले नाथ, मंगलवार को हनुमान, बुधवार को सूर्य, गुरुवार व शुक्रवार को देवियों के मंत्रोच्चारण के साथ साथ शनिवार को शनिदेव को याद किया जाता है।
हमीरपुर का एक मात्र ऐसा स्कूल है, जहां पर पढ़ाई के साथ-साथ हमारी पुरानी पंरम्परा व देवी देवताओं से भी बच्चों को रूबरू करवाकर उनकी पूजा अर्चना की गतिविधियां सिखाई जाती हैं। इस स्कूल में शिष्टाचार पर भी सबसे अधिक जोर स्टाफ द्वारा दिया जाता है। बताया यह भी जा रहा है कि स्कूल में प्रार्थना सभा के बाद लगने वाली हर कक्षा में भी विद्यार्थी इन मंत्रो का उच्चारण करते हैं। इसके बाद पढ़ाई शुरु होती है। बहरहाल संस्कृत भाषा से विद्यार्थी दूर होते जा रहे हैं। पढऩे व लिखने में भाषा काफी कठिन है।
हमीरपुर महाविद्यालय में पिछले दो वर्षों से संस्कृत भाषा के लिए निर्धारित विद्यार्थियों की संख्या आधे से भी अधिक खाली रहती है। इससे स्पष्ट हो गया है कि संस्कृत भाषा का बजूद खतरे में पढ़ चुका है। हिंदू धर्म की संस्कृत मातृ भाषा है। इसके मंत्रोच्चारण से हर पूजा अर्चना सफल मानी जाती है। हमीरपुर में ऐसा कोई स्कूल नहीं है, जहां पर संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए ऐसे कारगर कदम उठाए गए हों। ककडिय़ार स्कूल ने अनोखी शुरुआत कर संस्कृत भाषा के बजूद को बचाने का प्रयास किया है।
प्रधानाचार्य प्रदीप कुमार ने बताया कि उन्होंने हाल ही में यहां पर पदभार संभाला है। संस्कृत भाषा के मंत्रोच्चारण पहले से होता है। यह माहौल उन्हें बेहतर लगा इसे और मजबूत करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।