नाहन, 27 जून : हिमाचल प्रदेश का नाहन शहर देश भर में हिंदू, मुस्लिम, सिख, और ईसाई भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश करता है। यदि इतिहास पर नजर डाली जाए, तो देश के बंटवारे के दौर में भी यहां भाईचारा कायम रहा। यहां तक कि शिया और सुन्नी मिलकर ताजिए निकालते हैं। एक पंक्ति में कहा जाए, तो नाहन शहर आपसी सौहार्द का देश में एक रोल मॉडल हो सकता है।
हाल ही में जावेद नामक व्यक्ति ने शांत शहर को अशांत बनाने की कोशिश की। बावजूद इसके, शहर में आपसी भाईचारे को ठेस नहीं पहुंची। विवाद उत्तर प्रदेश के कारोबारी की वजह से पनपा, लेकिन एक-दो दिनों में ही शांति पूरी तरह से बहाल हो गई। 19 जून को प्रदर्शन के दौरान भी यह नारे लगाए जा रहे थे कि स्थानीय बाशिंदों (विशेष समुदाय) से कोई रंजिश नहीं है।
इस बीच, आपसी भाईचारे की एक और तस्वीर सामने आई है। अंजुमन इस्लामिया ने बहन बाला देवी की तरफ मदद के हाथ बढ़ाए। धारटीधार के धगेड़ा की रहने वाली बाला देवी को अंजुमन इस्लामिया ने 2 बिस्वा भूमि उपलब्ध करवाई है।
अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष बॉबी अहमद ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बहन ने गुजारिश की थी कि रहने के लिए जमीन नहीं है। बता दे कि दर्जनों हिंदू भी अक्सर आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम परिवारों की मदद करते हैं। हाल ही में एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजमिस्त्री की बीमारी की अवस्था में कई हिंदू परिवारों ने मदद की थी।
आपातकाल के दौरान रक्तदान करने को लेकर भी हिंदू-मुस्लिम बिना मजहब देखे एक-दूसरे की मदद करते हैं। यह शहर वास्तव में सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी सहयोग की एक अनूठी मिसाल है। नाहन का यह भाईचारा पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत है और बताता है कि इंसानियत और आपसी सहयोग से बड़ी कोई चीज नहीं है। शहर में सबसे बड़े ब्लड डोनर समूह (Drops of Hope) की शुरुआत ईशान राव ने की है। समूह में हिन्दू, मुस्लिम व सिख रक्तदाता बगैर मजहब पूछे 24 घंटे ब्लड डोनेशन को तैयार रहते हैं।
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