नाहन, 08 दिसंबर : हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) के दोस्त बलदेव सिंह तोमर को मतदाताओं ने नकार दिया है। हालांकि हार-जीत का आंकड़ा महज 382 मतों का रहा, लेकिन जीत तो जीत ही होती है। सिटिंग विधायक हर्षवर्धन चौहान की साफ-सुथरी छवि ब्रह्मास्त्र बनी।
भाजपा के बलदेव तोमर को 31,711 वोट हासिल हुए। हालांकि बलदेव तोमर ने कांग्रेस प्रत्याशी (congress candidate) की तुलना में पोस्टल बैलट में अधिक मत हासिल किए। लेकिन अंतिम आंकड़ा हर्षवर्धन चौहान के पक्ष में ही गया। कांग्रेस प्रत्याशी हर्षवर्धन चौहान को 32,093 वोट प्राप्त हुए, जिसमें 665 पोस्टल बैलट शामिल है। खास बात ये भी रही कि हाटी के मुद्दे का जादू नहीं चला।
गौरतलब है कि बलदेव तोमर को 692 पोस्टल बैलट मत हासिल हुए। आम आदमी पार्टी मात्र 488 मतों पर सिमट गई, जबकि राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी के प्रत्याशी को 452 वोट हासिल हुए। शिलाई विधानसभा क्षेत्र (Shillai Assembly Constituency) में नोटा को 525 वोट डाले।
दरअसल इस विधानसभा क्षेत्र पर समूचे प्रदेश की नजरें टिकी हुई थी। इसका कारण यह था कि भाजपा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के करीबी दोस्त बलदेव तोमर को प्रत्याशी बनाया था। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिलाई विधानसभा क्षेत्र में विकास को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। अंतिम दांव में हाटी समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का मुद्दा भी भुनाया, लेकिन चुनाव नतीजे इस बात का इशारा कर रहे है कि कहीं न कहीं बलदेव सिंह तोमर को अपनी व्यक्तिगत छवि के कारण भी नुकसान उठाना पड़ा है।
टिकट वितरण के दौरान भाजपा के सामने प्रत्याशी बदलने के लेकर बेस्ट ऑप्शन भी थी, लेकिन अटकलों की मानें तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बलदेव तोमर पर ही अड़ गए थे। लगातार दो चुनाव हारने के बाद बलदेव तोमर का राजनीतिक अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है।
उधर हर्षवर्धन चौहान के चुनाव जीतने के बाद यह तय है कि कांग्रेस की सरकार में उन्हें एक पावरफुल मंत्री का रुतबा हासिल हो सकता है। यह अलग बात है कि उन्हें प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री भी देखा जाने लगा था। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के दोस्त की हार हो गई है। मुख्यमंत्री ने सिराज विधानसभा क्षेत्र के बाद अगर कहीं खुद को केंद्रित किया था तो वह शिलाई विधानसभा क्षेत्र ही था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हाटी के मुद्दे पर निर्णय हुआ तो देश के गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) की पांवटा साहिब में धन्यवाद रैली आयोजित हुई। चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में 10 नवंबर को प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की भी सतौन में ही रैली आयोजित हुई। अमित शाह की तुलना में प्रियंका गांधी का अधिक असर देखने को मिला था।