संगड़ाह, 11 सितंबर : उपमंडल के 1500 लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने वाला उप स्वास्थ्य केंद्र सैरतंदुला लंबे समय से खुद बीमार चल रहा है। उप स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ न होने के कारण पिछले कई वर्षों से ताला लटका है। एक तरफ सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के दावे करती नही थकती, वहीं दूसरी तरफ स्टाफ के भारी अभाव के चलते क्षेत्र के सैकड़ों लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। यह उप स्वास्थ्य केंद्र 33 वर्ष पहले 1989 में खोला गया था। पिछले तीन चार वर्षो से इस केंद्र में स्टाफ के नाम कर एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी तक नहीं है जिस कारण पिछले कई वर्षों से यहां ताला लटका हुआ है।
आलम यह है कि आसपास के गांव के लोगों को छोटी सी बीमारी के इलाज के लिए भी 30 से 40 किलोमीटर दूर नौहराधार या राजगढ़ जाना पड़ रहा है। अधिकतर ग्रामीणों को इलाज के लिए नीम हकीमों के पास जाने के लिए विवश होना पड़ता है। स्वास्थ्य सुविधाओं की खस्ताहाल को लेकर ग्रामीणों में सरकार व संबंधित विभाग के प्रति गहरा रोष है।
हैरान करने वाली बात यह है कि सरकार ने करीब 17 लाख रुपए की लागत से सेर तंदूला में भवन का निर्माण तो किया है मगर भवन की देखरेख न होने के कारण भवन खस्ताहाल हो चुका है। भवन पूरी तरीके से जर्जर हो चुके है। यहां तक कि खिड़कियों के शीशे भी टूट चुके है।
सेर तंदुला निवासी विक्रम सिंह व जयप्रकाश आदि ग्रामीणों ने बताया कि यह उप स्वास्थ्य केंद्र 1989 में खुला था। जिसके लिए यहां के ग्रामीणों ने जगह और कमरा निशुल्क दिया था। कुछ वर्षों बाद सरकार द्वारा स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाने में भवन के लिए बजट मुहैया करवाया और एक भवन का निर्माण कराया गया।
मगर अब यह भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है। स्वास्थ्य सुविधा न मिलने के कारण ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि उप स्वास्थ्य उप केंद्र को सुचारू रूप से शुरू किया जाए, जिससे यहां के ग्रामीणों और आसपास के गांव के लोगों को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके।