उप चुनाव के प्रत्याशी तय होने के बाद गरमा जाएगी सियासी खुमारी
शिमला, 1 अक्तूबर : हिमाचल प्रदेश में जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र सूबे के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों (Chief Minister) की कर्मभूमि रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि इस हलके में सियासी परिपक्तवता भी है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच 1062 मतों का फेर था। बीजेपी के प्रत्याशी रहे दिवंगत नरेंद्र बरागटा को 27,466 मत हासिल हुए थे, जबकि कांग्रेस के रोहित ठाकुर को 26,404 मत पड़े। 659 वोट निर्दलीय प्रत्याशियों को मिले थे। चूंकि मुकाबला बेहद ही कांटे का था, लिहाजा इस उप चुनाव में भी हार-जीत को लेकर कांटे की टक्कर होने की पूरी संभावना है।
बता दें कि बीजेपी के मुख्य सचेतक रहे नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद ये सीट रिक्त घोषित हुई थी। इस हलके से चुनाव जीतने के बाद स्व. रामलाल ठाकुर ने दो मर्तबा मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। जबकि एक बार दिवंगत वीरभद्र सिंह ने भी मुख्यमंत्री के तौर पर इस हलके का एक विधायक के नाते प्रतिनिधित्व किया था। कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर के पोते रोहित ठाकुर राजनीतिक विरासत को संभाल रहे हैं, वहीं अगर भाजपा चेतन बरागटा को टिकट देती है तो पूर्व मंत्री दिवंगत नरेंद्र बरागटा के बेटे को राजनीतिक विरासत मिल जाएगी।
हाल ही में बीजेपी ने देश की सबसे युवा बीडीसी चेयरपर्सन होने का गौरव हासिल करने वाली 26 वर्षीय प्रज्जवल बस्टा को प्रदेश प्रवक्ता नियुक्त किया है। अब क्या ये नियुक्ति उप चुनाव के मद्देनजर की गई है या नहीं, इसका सटीक खुलासा तो पार्टी के प्रत्याशी तय होने के बाद ही होगा। दिवंगत मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर का पोता रोहित ठाकुर पहली बार 2003 में विधायक बना था। 1951 से अब तक कांग्रेस ने ही इस सीट को तीन बार खोया है। एक बार तब, जब 1990 में ठाकुर राम लाल ने कांग्रेस को छोड़कर जनता दल से हाथ मिला लिया था। उस समय उनका मुकाबला वीरभद्र सिंह से हुआ था।
इसके बाद 2007 में कमल के चुनाव चिन्ह पर पहली बार नरेंद्र बरागटा चुनाव जीते थे। इसके बाद वो 2012 में चुनाव हार गए थे। 2017 में नरेंद्र बरागटा ने कांग्रेस के रोहित ठाकुर को काफी कम अंतर से हराया था। खास बात ये भी है कि इस हलके से राम लाल ठाकुर के नाम पर 9 बार विधायक बनने का रिकाॅर्ड भी है। बीजेपी ने इस हलके में पहले ही घोषणाओं का पिटारा खोल दिया था। एक साथ जुब्बल व कोटखाई में एसडीएम कार्यालय खोलने का ऐलान इसी चुनाव के मद्देनजर था।
इस हलके की लाइफ लाइन ठियोग-हाटकोटी-रोहडू हाईवे की खस्ता हालत काफी साल पहले खासी चर्चा में रही थी। इस हलके का करीब 90 फीसदी इलाका सेब बागवानी पर निर्भर है। कुल मिलाकर राज्य के इस हलके में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, ये वक्त ही बताएगा।