शिमला, 16 सितंबर : प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला के पूर्व मनोनीत पार्षद संजीव सूद की सदस्यता समाप्त करने के आदेशों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने प्रार्थी संजीव सूद का आवेदन खारिज करते हुए कहा कि यदि अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा उसे अयोग्य ठहराने वाले आदेशों पर रोक लगाई गई तो वह बतौर मनोनीत पार्षद काम करने लगेगा जो कानून के विपरीत होगा।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के आदेशों के पश्चात ही सरकार ने 26 अगस्त 2021 को जारी अधिसूचना के तहत मनोनीत पार्षद की बतौर नगर निगम पार्षद सदस्यता समाप्त कर दी थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि वह 3 नवम्बर 2020 को अर्बन डिवेलपमेंट अथॉरिटी द्वारा संजीव सूद को अयोग्य ठहराने के आदेशों पर अमल करे।
राकेश कुमार द्वारा दायर याचिका में कहा गया था। संजीव सूद ने वर्ष 2009 में अवैध निर्माण करने के मामले में नगर निगम को हलफनामा दिया था कि वह स्वीकृत मैप के अलावा किया गया अतिरिक्त निर्माण हटा देगा। परंतु वर्ष 2009 से 2019 तक उसने अवैध निर्माण नहीं हटाया। इसके पश्चात राकेश कुमार ने वर्ष 2019 में अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के पास शिकायत दर्ज की जिसमें कार्यवाही के दौरान आरोपों को सही पाया गया और संजीव सूद को पार्षद पद के लिए अयोग्य घोषित किया गया।
अब प्रार्थी संजीव सूद ने याचिका के माध्यम से उसे नगर निगम शिमला के पार्षद पद के लिए अयोग्य ठहराने व निगम की बतौर मनोनीत पार्षद सदस्यता समाप्त करने वाले आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका के साथ प्रार्थी ने अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के अयोग्य ठहराने वाले आदेशों व सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने के लिए आवेदन दायर किया था जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।