नाहन, 30 जुलाई : 30 जुलाई 2021 की सुबह 7 से 8ः30 के बीच पांवटा साहिब-हाटकोटी हाईवे पर खौफनाक लैंड स्लाइड की घटना से मौके पर हर कोई सहम गया था। 10 बजे तक वीडियो वायरल हो गया। देखने वाले कुदरत (Nature) के रौद्र रूप से दंग (stunned) था। अमूमन भूस्खलन (usually landslide) पहाड़ की तरफ से होता है, लेकिन इस घटना में ऐसा नहीं हुआ। बल्कि इस भूस्खलन की शुरूआत घाटी की तरफ यानि खाई की तरफ से हुई। धीरे-धीरे इसने सड़क से ऊपर के हिस्से को भी चपेट में लिया।
भूस्खलन वाली जगह के नीचे एक माइन भी बताई गई है, जो वर्टिकल आकार (vertical shape) में थी। बताया ये भी जा रहा है कि इस जगह पर कई सालों से दरारें (Cracks) आ रही थी। 2018 में बड़वास के रहने वाले एक युवक ने भूस्खलन के कारण हाईवे के ध्वस्त (demolished) होने की आशंका भी जाहिर की थी। फिलहाल, भूस्खलन की सीधी वजह सामने नहीं आई है, लेकिन ये जरूर है कि करीब 30 से 40 सैकेंड का खौफनाक भूस्खलन नीचे की तरफ से शुरू हुआ था। चंद महीने पहले ही केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने टैंडर प्रक्रिया के बाद हाईवे को सीधे अपने अधीन ले लिया था।
पांवटा साहिब में एक्सईएन कार्यालय शुरू किया गया। इससे पहले हिमाचल के एनएच विंग के अधीन यह कार्य चल रहा था। बेशक ही इस भूस्खलन की वजह को लेकर आधिकारिक (official) तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा, लेकिन इतना जरूर है कि प्रकृति से खिलवाड़ भी इसकी वजह हो सकता है। उल्लेखनीय है कि सतौन से टिम्बी के बीच दोनों तरफ माईनिंग एरिया (mining area) है।
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खास बात ये भी है कि कुछ समय पहले ही ग्रामीणों ने हाईवे को चौड़ा करने के दौरान निकल रहे मलबे की डंपिंग साइट (dumping site) को लेकर भी सवाल उठाए थे। 1968 में बने इस मार्ग का समय-समय पर विस्तारीकरण (Expansion) करने की योजनाएं बनती रही हैं। अब मंत्रालय ने इसे बद्रीपुर से फेडिसपुल तक बनाने का जिम्मा लिया है। ये दूरी 104 किलोमीटर की है।
ये भी खास….
हालांकि प्रशासन ने ट्रैफिक को डाईवर्ट (divert) करने का खाका पहले ही तैयार कर लिया था, लेकिन इस मार्ग से पांवटा साहब से शिलाई की दूरी लगभग 35 किलोमीटर बढ़ गई है। इसके अलावा वाहनों को उत्तराखंड की सीमा का इस्तेमाल करना पड़ेगा। एक ये बात भी सामने आई है कि अगर शिलाई से पांवटा साहिब के लिए निजी बसों का ऑपरेट किया जाता है तो निजी बस ऑपरेटर्स को प्रति रूट 2400 रुपए का शुल्क उत्तराखंड को देना पड़ सकता है।
चश्मदीद के मुताबिक…. इत्तफाकन समय-समय पर इस हाईवे पर विभागीय अव्यवस्थाओं की पोल खोलने वाले समाजसेवी (social worker) नत्थूराम घटना के वक्त मौके पर ही मौजूद थे। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में समाजसेवी ने कहा कि जगह-जगह खुदाई की जा रही है। डंपिंग साइट को सही ढंग से नहीं बनाया गया। गांव वालों के पानी के स्त्रोतों को बंद किया गया है। विभाग से जब ये बात उठाई जाती है तो कहा जाता है कि विदेशों से एक्सपर्टस बुला लेंगे। मगर आज कुदरत ने अपना रौद्र रूप दिखा दिया। उन्होंने बताया कि ये घटना सुबह 8 बजे के आस-पास की है।
क्या बोले अधिशासी अभियंता…
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के पांवटा साहिब में तैनात एक्सईएन विवेक पंचाल ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि हाईवे को बहाल करने में 15 दिन का समय लग सकता है। उन्होंने माना कि ये भूस्खलन वैली साइड (valley side) हुआ है। अमूमन हिल साइड से लैड स्लाइड होता है। एक सवाल के जवाब में एक्सईएन ने ये भी माना कि नीचे की तरफ एक माईन चलती थी। इस कारण ऐसा हुआ है या नहीं, ये कहना फिलहाल मुश्किल है।
शिलाई से पांवटा साहिब पहुंचने….
वैकल्पिक मार्ग से करीब 30 से 36 किलोमीटर की दूरी तो बढ़ जाएगी। फिलहाल नेशनल हाईवे विभाग अवरुद्ध मार्ग की बहाली में 15 दिन का वक्त लगने की बात कह रहा है, मगर ये दिन बढ़ भी सकते हैं, क्योंकि मौके पर भूस्खलन की आशंका अब भी बनी हुई है। दोपहर तक मशीनों की तैनाती तो कर दी गई थी, मगर कार्य शुरू करना असंभव (Impossible) सा ही प्रतीत हो रहा था। ऐसा भी माना जा रहा है कि पहले जिस जगह सड़क थी, दोबारा उस जगह पर निर्माण नहीं हो सकता। ऊपर की तरफ से हाईवे को जोड़ने की कवायद हो सकती है।