शिमला, 9 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश में चार नगर निगम के चुनावी नतीजों को 2022 के विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। पूरी ताकत झोंकने के बाद भी बीजेपी का प्रदर्शन नगर निगम के चुनावों में पार्टी के लिए निराशाजनक रहा है, लेकिन जयराम सरकार को अभी एक और अग्निपरीक्षा से गुजरना है। वह परीक्षा ही तय करेगी कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर क्या 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सीएम कैंडिडेट की दौड़ में होंगे या नहीं।
बीजेपी ने ही नगर निगम के चुनावों को पार्टी सिंबल पर करवाने का फैसला लिया था। मंडी संसदीय क्षेत्र के अलावा कांगड़ा के फतेहपुर में विधानसभा सीट के उपचुनाव अब जयराम सरकार के लिए कड़ी परीक्षा होंगे। यहीं से सीएम का 2022 के लिए असल भविष्य तय होगा। दिलचस्प बात यह है कि नगर निगम के चुनाव में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने खुद को भी झोंक रखा था।
उपचुनाव में सीएम को एक प्लस पॉइंट ये है कि लोकसभा सीट घर की है, जहां नगर निगम के चुनाव में मतदाताओं ने पंडित सुखराम फैक्टर को रिजेक्ट कर जयराम का ही साथ दिया है, लेकिन इस सीट का भविष्य अन्य ज़िलों के मतदाता भी तय करते हैं। चार नगर निगमों में 64 सीटों के लिए चुनाव हुए, इसमें भाजपा की झोली में 28 सीटें आई, जबकि कांग्रेस को 29 सीटें मिली। निर्दलीयों ने 7 सीटों पर कब्जा किया।
कमाल की बात पालमपुर में रही, जहां कांग्रेस ने बीजेपी के दिग्गज नेता शांता कुमार के घर में ही 17 में से 11 सीटें जीतकर क्लीन स्वीप कर दिया। अगर इन चुनावी नतीजों को आंशिक तौर पर भी आधार माना जाए तो निश्चित तौर पर बीजेपी से लोगों का मोहभंग होता नजर आया।
हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए भाजपा के पास इस समय भी लगभग डेढ़ साल का वक्त है। इसके लिए न केवल अपनी अफसरशाही को फुर्तीला करना होगा, अपितु धरातल पर भी विकास नजर आना चाहिए। कई जिलों में तो अधिकारी लंबे अरसे से तंबू गाड़े बैठे हुए हैं।
यह एक साधारण सा नियम है कि जब भी कोई व्यक्ति नया पद ग्रहण करता है तो ऊर्जावान होकर बेहतरीन करने का प्रयास करता है जो अधिकारी लंबे अरसे से जिलों में डटे हुए हैं। उनकी कोई खास रुचि धरातल के विकास में नहीं रह गई है। इन चुनावी नतीजों में जहां कांग्रेस नेता व विधायक राजेंद्र राणा का कद बढ़ा है तो वहीं पालमपुर से भी आशीष पटेल का राजनीतिक कद बढ़ा है।
गौरतलब है कि सोलन नगर निगम के चुनाव में तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के तीन प्रवास रहे थे। यहां अगर भाजपा जीती तो चेहरा जयराम ठाकुर के सिर बांधा। वहीं हार का ठीकरा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के सिर फूट गया है। भाजपा के लिए चिंता की बात यह भी है कि राज्य के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में न तो पार्टी को धर्मशाला में स्पष्ट बहुमत मिला है। वहीं पालमपुर में तो शर्मसार हार का सामना करना पड़ा है।
अब इन चुनावी नतीजों से जयराम सरकार सबक लेती है या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा। अलबत्ता इतना जरूर है कि लोकसभा व विधानसभा के उपचुनाव अब आने ही वाले हैं। उल्लेखनीय है कि मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा ने दिल्ली में सुसाइड कर लिया था, जबकि फतेहपुर से विधायक सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद सीट रिक्त हो गई।