नाहन, 19 मार्च : बेटी अनमोल होती है, इन शब्दों को वास्तविक जीवन में 22 साल की उम्र में एक बेटी मनीषा ठाकुर ने साबित कर दिखाया है। गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वाले पिता ने बमुश्किल अपनी बेटी को पढ़ाया।
आईजीएमसी शिमला से नर्सिंग करने के बाद मनीषा को माता पदमावती नर्सिंग काॅलेज में क्लीनिकल इंस्ट्रक्टर की नौकरी मिल गई। धीरे-धीरे बेटी की बदौलत परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। वो पल भी आ गया, जब परिवार बीपीएल सूची में नहीं रहा। यानि स्पष्ट शब्दों में कहें तो एक बेटी ने अपने पिता अरविंद कुमार व माता कृष्णा को गरीबी रेखा की सीमा से उबार दिया।
होनहार बेटी की सफलता अब भी जारी है। चंद रोज पहले हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा जारी किए गए स्टाफ नर्स के परिणाम में मनीषा ने मैरिट सूची में 9वां स्थान हासिल किया है। जल्द ही सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में अपनी पारी शुरू कर देगी। मनीषा की सफलता में सबसे अहम बात यही है कि परिवार को बीपीएल सूची से एपीएल की श्रेणी में ला खड़ा किया है।
गौरतलब है कि मनीषा ने अपनी काबलियत का परिचय उस समय भी दिया था, जब बीपीएल परिवार से ताल्लुक रखने वाली बेटी को आईजीएमसी जैसे संस्थान में बीएससी नर्सिंग में दाखिला मिल गया था। नाहन विकास खंड की सुरला पंचायत के चासी गांव की रहने वाली मनीषा देवी ठाकुर ने एमबीएम न्यूज से बातचीत में माना कि उसने नौकरी शुरू होने के बाद परिवार को बीपीएल श्रेणी में नहीं रहने दिया। उन्होंने बताया कि छोटा भाई जेबीटी का कोर्स कर रहा है।
उन्होंने बताया कि पिता खेती-बाड़ी करते हैं। पिछले कुछ सालों से आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई थी। उन्होंने कहा कि बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई करने के तुरंत बाद ही जाॅब मिल गई। इस कारण परिवार को आर्थिक सहारा मिला। मनीषा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि परिवार को बीपीएल में रहने की कोई आवश्यकता नहीं थी।